हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों की लापरवाही से छत्तीसगढ़ विधान सभा के 48 विधायकों को आशियाना 7 साल में नाम पर नामांतरित नहीं हो सका है। जिसके बाद मजबूरन 2017 में केबिनेट में भू राजस्व संहित में नियम को शिथिल करते हुए भूमि के अदला-बदली को मंजूरी दी गई थी। इसके बाद ही माननीयों के मकान फ्री होल्ड हो पाया। आरोप है कि हाउसिंग बोर्ड के तत्कालीन संपदा अधिकारी हेमंत वर्मा ने 2007 में जमीन के अदलाबदली का खेल रचा था।
बतादें कि उक्त अधिकारी से भाजपा-कांगे्रस के सभी विधायक बेहद नाराज थे। लेकिन भाजपा के बड़े नेताओं के मकान प्राइम लोकेशन में बना कर अधिकारी 2005 से अब तक राजधानी में जमे हुए हैं।
जगदीश आरोरा, मोहनलाल अरोरा और उनकी माता सोमावति अरोरा के नाम पर तकरीबन ढाई एकड़ जमीन थी। जिसमें गलत प्लानिंग कर हाउसिंग बोर्ड के अधिकारियों ने मोहनलाल अरोरा और उनकी माता सोमावति अरोरा को धोखे में रख कर भू अदलाबदली की कार्रवाई की। इसमें सिर्फ जगदीश अरोरा से सहमति ली गई। मोहन लाल की फरियाद पर तेलीबांधा थाने में धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया।
जमीन धोखाधड़ी का कोई मामला नहीं है। मेरे खिलाफ जो भी शिकायत हो रही है, सब गलत हैं।
हेमंत वर्मा, अपर आयुक्त, हाउसिंग बोर्ड वर्जन
हमने उक्त अधिकारी को हटाने की शिकायत की है। उनके द्वारा महिला कर्मचारियों को भी प्रताडि़त किया जा रहा है। यदि प्रबंध कार्रवाई नहीं करता है तो हम आंदोलन करेंगे।
विक्रम सिंह यादव, हाउसिंग बोर्ड एम्पलाइज फेडरेशन