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MBBS In Hindi: हिंदी में पढ़कर डॉक्टर बनने तैयार नहीं MBBS छात्र! 230 में महज 3 छात्रों ने किया आवेदन

MBBS In Hindi: पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि नेहरू मेडिकल कॉलेज में हिंदी माध्यम से पढ़ाई के लिए गिनती के आवेदन आए हैं। हो सकता है कि आने वाले सालों में ऐसे छात्रों की संख्या बढ़े।

रायपुरDec 11, 2024 / 12:11 pm

Laxmi Vishwakarma

MBBS In Hindi

MBBS In Hindi: पीलूराम साहू/पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज में 230 में महज 3 एमबीबीएस छात्रों ने हिंदी माध्यम में पढ़ाई के लिए आवेदन किया है। यह कुल छात्रों का महज 1.3 प्रतिशत है। यानी छात्रों की रुचि कम दिख रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि एमबीबीएस में हिंदी माध्यम से पढ़ाई अच्छी पहल है, लेकिन छात्रों की रुचि कम होने के कारण सोचनीय है। हो सकता है कि आने वाले सालों में ऐसे छात्रों की संख्या बढ़े।

MBBS In Hindi: एमबीबीएस में प्रवेश का दौर पूरा हो चुका

राज्य सरकार ने हिंदी दिवस यानी 14 सितंबर को सरकारी मेडिकल कॉलेजों में हिंदी माध्यम से एमबीबीएस की पढ़ाई की घोषणा की थी। 5 नवंबर को एमबीबीएस में प्रवेश का दौर पूरा हो गया है और इसकी पूरी सीटें भी भर चुकी हैं। पत्रिका की पड़ताल में पता चला है कि नेहरू मेडिकल कॉलेज में हिंदी माध्यम से पढ़ाई के लिए गिनती के आवेदन आए हैं। इससे कॉलेज प्रबंधन भौंचक तो नहीं, लेकिन चिंतित जरूर है।

अलग से की जाएगी फैकल्टी की व्यवस्था

दरअसल, सीमित छात्रों की संख्या होने पर उनकी पढ़ाई किस तरह हो पाएगी, यह भी तय नहीं है। अगर कोई छात्र हिंदी माध्यम में पढ़ाई करना चाहता है तो उनके लिए अलग से फैकल्टी की व्यवस्था करनी होगी। (Chhattisgarh News) हालांकि कॉलेज में ज्यादातर फैकल्टी हिंदी माध्यम में पढ़ाई करवा सकते हैं। इसलिए अलग से फैकल्टी की व्यवस्था की जाएगी, ऐसा नहीं लगता।
हिंदी माध्यम वाले छात्रों की पढ़ाई भी शुरू नहीं हुई है। जबकि एमबीबीएस की क्लास सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों में 15 अक्टूबर से शुरू हो चुकी है। यानी क्लास शुरू हुए करीब दो माह होने वाले हैं। ऐसे में हिंदी माध्यम की पढ़ाई पर अभी तक कोई दिशा तय नहीं होना चिंता की बात है।

उपलब्ध किताबों की एचओडी ने की समीक्षा

चिकित्सा शिक्षा विभाग ने हिंदी माध्यम में पढ़ाई के लिए एक कमेटी भी बनाई है। कमेटी की बैठक मंगलवार को हुई। इसमें हिंदी माध्यम के लिए उपलब्ध बुक की समीक्षा की गई। बैठक में सभी एचओडी शामिल हुए। प्रकाशित किताब पर ज्यादातर डॉक्टरों का कहना है कि इसमें शरीर के महत्वपूर्ण ऑर्गन व बीमारियों के नाम प्रचलित शब्द में ही है।
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इसे अनुवाद नहीं किया गया है, जो छात्रों के समझने के लिए अच्छा है। पड़ताल में पता चला है कि न केवल फस्टZ ईयर बल्कि सेकंड, फाइनल ईयर पार्ट एक व दो के लिए भी किताबें आई हैं। एचओडी अपने-अपने विषय के हिसाब से इसे देख रहे हैं। वे ये देख रहे है कि अंग्रेजी व हिंदी माध्यम की किताबें सिलेबस के अनुसार है या नहीं। हिंदी की किताबें भी एनएमसी के सिलेबस के अनुसार है।

हिंदी में पढ़ाई के लिए शासन की गाइडलाइन ही नहीं पहुंची

हिंदी माध्यम में किस तरह पढ़ाई हो, शासन की गाइडलाइन कॉलेजों को नहीं पहुंची है। पत्रिका ने जगदलपुर, कोरबा डीन से बात की तो इसकी पुष्टि हुई है। कुछ डीन ने बताया कि प्रकाशक 5-6 माह में बुक सप्लाई करने की बात कह रहे हैं। ऐसे में सत्र निकलने की संभावना है।
जगदलपुर व कोरबा में किसी छात्र ने हिंदी से पढ़ाई के लिए आवेदन नहीं किया है। कमोबेश यही स्थिति दूसरे सरकारी मेडिकल कॉलेजों की है। दरअसल हिंदी माध्यम से पढ़ाई के लिए बुक छापने वाले देश में गिनती के प्रकाशक हैं। इसलिए बुक की उपलब्धता में परेशानी हो सकती है। (Chhattisgarh News) हालांकि शासन का पूरा जोर है कि हिंदी माध्यम में स्कूली शिक्षा की पढ़ाई करने वाले छात्र एमबीबीएस की पढ़ाई भी इसी माध्यम से करें। ताकि उन्हें डॉक्टर बनने में आसानी हो।

किसी भी स्टूडेंट ने हिंदी के लिए नहीं किया आवेदन

MBBS In Hindi: रायपुर, डीन नेहरू मेडिकल कॉलेज डॉ. विवेक चौधरी: हिंदी माध्यम में एमबीबीएस की पढ़ाई के लिए बहुत कम छात्रों ने आवेदन किया है। सैंपल के बुक आए हैं, जिसकी समीक्षा एचओडी ने की है। शासन के आदेशानुसार हिंदी माध्यम में पढ़ाई करवाई जाएगी।
कोरबा, डीन मेडिकल कॉलेज डॉ. केके सहारे: हिंदी माध्यम के लिए किसी छात्र ने आवेदन नहीं किया है। हिंदी प्रकाशक 5-6 माह में बुक सप्लाई करने की बात कह रहे हैं। ऐसे में इस सत्र में पढ़ाई कैसे होगी, शासन के दिशा निर्देश का इंतजार कर रहे हैं।
जगदलपुर, डीन मेडिकल कॉलेज डॉ. प्रदीप बेक: हिंदी माध्यम में किस तरह पढ़ाई कराई जाए, इस संबंध में शासन की कोई गाइडलाइन नहीं आई है। बुक खरीदने को जरूर कहा गया है। हालांकि किसी भी स्टूडेंट ने हिंदी के लिए आवेदन नहीं किया है।

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