कांग्रेस की चुनौती
मरवाही विधानसभा कांग्रेस की परंपरागत सीट रही है। हालांकि राज्य निर्माण के बाद यह सीट जोगी परिवार के लिए परंपरागत सीट हो गई है। 2018 के चुनाव में यहां कांग्रेस प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा सकी। अब यदि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार होते हुए हार होती है, तो शीर्ष नेतृत्व की नाराजगी उठानी पड़ सकती है।
कांग्रेस को फायदा
मरवाही उप चुनाव जीतने लिए सरकार ने करीब पांच महीने पहले से तैयारी शुरू कर दी थी। सरकार ने यहां विकास कार्यों की सौगात लगा दी है, जो जनता का मन बदलने में सहायक साबित हो सकती है। प्रदेश में कांग्रेस की सरका होने का फायदा भी प्रत्याशी को मिलेगा।
भाजपा की चुनौती
वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा जनाधार कम हुआ है। हार की वजह से पार्टी भी गुटबाजी में बंटी नजर आ रही है। 2018 के चुनाव में भाजपा को मरवाही विधानसभा में केवल 18.49 फीसदी वोट मिले थे। सत्ता से बाहर होने के बाद वोट का प्रतिशत बढ़ाना मुश्किल कम है।
भाजपा को फायदा
भाजपा के अपने परपंरागत वोट बैंक रहता है। त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति में वोट के बंटवारे से भाजपा को लाभ मिल सकता है। नई कार्यकारिणी के गठन के बाद कार्यकर्ताओं में उत्साह नजर आ रहा है। केंद्र की मोदी सरकार के कामकाज के हिसाब से जनता वोट कर सकती है।
जकांछ की चुनौती
प्रदेश सरकार ने जकांछ को जातिगत मामले में उलझाकर रख दिया है। ऐसे में पर्याप्त रणनीति नहीं बना पा रही है। वहीं कांग्रेस ने जकांछ के मजबूत कार्यकर्ताओं को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल कर लिया है। इसका सीधा असर भी चुनाव के दौरान देखने को मिल सकता है।
जकांछ को फायदा
पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की मरवाही में अच्छी खासी पैठ रही है। उनके जाने के बाद जकांछ अध्यक्ष अमित जोगी भावनात्मक राजनीति कर जनता को साध रहे हैं। अमित मरवाही से एक बार चुनाव भी जीत चुके हैं। इस वजह से जनता से उनका सीधा संपर्क है।
2018 में यह थी स्थिति
10- कुल प्रत्याशी चुनाव मैदान में
08- प्रत्याशियों की जमानत जब्त
144669- मतदाताओं ने किया मतदान
81.15- मतदान का प्रतिशत
2018 में यह था वोट का प्रतिशत
49.64- जकांछ को
18.49- भाजपा को
13.43- कांग्रेस को