उन्होंने ओलंपिक जैसे वैश्विक टूर्नामेंटों में भारतीय खिलाडिय़ों के पदक से चूकने पर कहा कि बड़े टूर्नामेंटों भारतीय खिलाड़ी मनोवैज्ञानिक रूप से दबाव में रहते हैं और उनमें कहीं न कहीं कॉन्फिडेंस की कमी रहती है। यही कारण है कि हम पदक के नजदीक पहुंच कर भी जीतने से चूक जाते हैं। पेरिस ओलंपिक में कई भारतीय खिलाड़ी चौथे स्थान पर रहे, लेकिन कॉन्फिडेंस की कमी से पदक जीतने से चूक गए। इस टूर्नामेंट में खेलों का अच्छा माहौल देखने को मिला। ऐसा लगता है कि आने वाले समय में छत्तीसगढ़ से भी कई ओलंपियन निकलेंगे।
प्रश्न: भारतीय खिलाडिय़ों में कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए क्या किया जाए
उत्तर: मनु भाकर ने कहा कि वैश्विक टूर्नामेंट के लिए भारतीय खिलाडिय़ों को मनोवैज्ञानिक रूप से तैयार करना पड़ेगा। कॉन्फिडेंस बढ़ाने के लिए खिलाडिय़ों के साथ कोच के साथ साइकोलॉजिस्ट को भी जोडऩा चाहिए। तीन-चार साल पहले से ओलंपिक जैसे बड़े टूर्नामेंट के लिए मानसिक रूप से खिलाडिय़ों को मजबूत करने की ट्रेनिंग देने की जरूरत है। पेरिस ओलंपिक में हमारे कई साथी सिर्फ कॉन्फिडेंस की कमी के चलते पदक से चूक गए और वे चौथे-पांचवें स्थान पर रहे। मनु ने कहा कि जो हार मान लेता है, वो खिलाड़ी नहीं होता। हार कर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं। मनु ने इंडिविजुअल और मिक्स्ड टीम इवेंट में ब्रॉन्ज जीता था। एक ओलिंपिक में 2 मेडल जीतने वाली पहली भारतीय बनीं।
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