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मरीजों का इलाज किया जाता है। ऐसे में विषम परिस्थितियों के लिए फायर सिस्टम अनिवार्य था। सीसीयू में मेडिकल आईसीयू, एनीस्थीसिया विभाग का क्रिटिकल केयर, सर्जरी विभाग का एसआईसीयू, रेडियो डायग्नोसिस का डीएसए से इलाज वाले मरीजों का आईसीयू व डायलिसिस यूनिट है।
कोरोनाकाल के पहले यह आईसीयू था और यहां हार्ट, किडनी, मेडिसिन, सर्जरी के गंभीर मरीजों को भर्ती किया जाता था। कोरोनाकाल में इसे आइसोलेटेड आईसीयू बनाया गया, जहां केवल कोरोना के गंभीर मरीजों का इलाज किया जाता था। अस्पताल अधीक्षक डॉ. संतोष सोनकर का कहना है कि मरीजों का बेहतर इलाज व उनकी जान की सुरक्षा प्राथमिकता में है। जहां भी फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं लगा है, वहां लगाए जाएंगे।
कैथैलेब आईसीयू के एसी का 5 साल से मेंटेनेंस नहीं
एसीआई स्थित कैथलैब आईसीयू के सेंट्रल एसी का 5 साल से कोई मेंटेनेंस नहीं हुआ है।
डॉक्टरों व स्टाफ के अनुसार कुछ माह पहले धमाके के बाद आग भी लग गई थी। दरअसल सेंट्रल एसी के काम नहीं करने पर वॉल फैन लगाया गया था। कार्डियोलॉजी विभाग ने इस संबंध में प्रबंधन को 100 से ज्यादा पत्र लिखा है। इसके बावजूद सेंट्रल एसी का मेंटेनेंस नहीं करना मरीजों की जान जोखिम में डालने के समान है। इस आईसीयू में हार्ट संबंधी बीमारी वाले गंभीर मरीज भर्ती रहते हैं। एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी व बाकी प्रोसीजर वाले गंभीर मरीजों का भी इलाज किया जाता है।