सात की उम्र में पहला स्टेज शो
सुहानी ने कहा कि मेरा ध्यान पढ़ाई में नहीं था, अगर था तो वह मैजिक पर। चूंकि 7 साल साल की उम्र में मैंने स्टेज शो शुरू कर दिया था। क्लास वन तक तो थी, उसके बाद मुझे स्कूल जाने का मौका नहीं मिला। मेरी ऑडियंस की मेरी टीचर रही है। मैंने दुनियादारी उन्हीं से सीखी। हालांकि मैं यह मानती हूं कि हर चीज आप कभी भी सीख सकते हैं बशर्ते आप में सीखने की ललक होनी चाहिए। मैंने घर में काफी कुछ पढ़ा और आज भी पढ़ती ही रहती हूं। जिसे सीखना हो वह बिना स्कूलिंग के भी सीख सकता है और जो सीखना नहीं चाहता उसके लिए दुनिया का बड़ा सा बड़ा स्कूल भी किसी काम का नहीं।
जादू एक आर्ट है
सुहानी कहती हैं कि जैसे नृत्य एक आर्ट है, संगीत या पेंटिंग एक आर्ट है, ठीक वैसे ही जादू भी एक हुनर है। हालांकि कई लोग इसे अंधविश्वास से जोड़कर देखते हैं, कुछ लोग दैवीय शक्ति मान लेते हैं जबकि एेसा कुछ भी नहीं है। जब मैंने जादू सीखना तय किया तो उस वक्त सबसे सोचने वाली बात थी कि यह फील्ड कैसे काम करती है। मुझे एक साल लग गए इसे सीखने में। मैंने 22 अक्टूबर 1997 में पहला स्टेज शो किया था। उसके बाद से देश-विदेश में करीब 5 हजार शो कर चुकी हूं। शुरुआत अहमदाबाद से हुई और दो महीने में ही मैं मुंबई चली गई थी।