देवशयनी एकादशी पर शहर के मंदिरों में विशेष पूजा की गई। जप-अनुष्ठान के साथ महाआरती कर भगवान को विशेष भोग भी लगाया गया। (chhattisgarh hindi news) पंडितों का मत है कि भगवान की योग निद्रा के समय मंदिरों में पूजा, पाठ, भजन करने की परंपरा है। पं. मनोज शुक्ला ने बताया जून महीने के बाद अब 5 महीने के लिए मांगलिक कार्यों पर रोक लग गई है।
23 नवंबर को देवउठनी एकादशी पर भगवान जागेंगे, लेकिन विवाह मुहूर्त पांच दिन बाद कार्तिक पूर्णिमा से शुरू होंगे। नवंबर में 3 और दिसंबर में 10 दिन मुहूर्त रहेंगे। इसके बाद खरमास लग जाएगा और विवाह 14 जनवरी को मकर संक्रांति से शुरू होंगे। (cg raipur news) उन्होंने बताया कि चातुर्मास के 5 महीनों में भगवान विष्णु पाताल लोक में निवास करेंगे। वे आषाढ़ शुक्ल की एकादशी तक यहीं रहेंगे।
पूजा-पाठ के लिए खास है ये महीना5 महीने विश्राम करेंगे विष्णुजी देवशयनी एकादशी सभी एकादशियों में सबसे खास है। इस एकादशी पर भगवान विष्णु चार महीने की योग निद्रा में चल जाते हैं। इस बार अधिकमास के चलते भगवान विष्णु चार के बजाय 5 महीनों तक विश्राम करेंगे। (raipur news) इस एकादशी के साथ ही चातुर्मास आरंभ हो गया है। भगवान विष्णु के विश्राम के चलते इन 5 महीनों के दौरान विवाह या मांगलिक कार्यों के लिए कोई मुहूर्त नहीं होगा।
नक्षत्रों के संयोग से देवशयनी खास ज्योतिषियों ने बताया कि इस साल देवशयनी एकादशी पर चंद्रमा स्वाति नक्षत्र में था। इससे स्थिर नाम का शुभ योग बना। वहीं, ग्रहों की स्थिति से सिद्धि, बुधादित्य, गजकेसरी और रवियोग भी बने। इसी दिन सुस्थिर नाम आदि योग भी पड़ा। (chhattisgarh news) शास्त्रोक्त मान्यता के अनुसार इस अवधि में मां लक्ष्मी की उपासना करने वालों को धन के साथ समृद्धि की भी प्राप्ति होगी।
चातुर्मास में पूजा-पाठ के लिए विशेष महत्व है। इस चातुर्मास में सभी देव स्थलों में भगवान की विशेष पूजा-अर्चना होगी। (raipur news in hindi) इस समय में सृष्टि का भार भगवान शिव के ऊपर रहता है, इसलिए इस दौरान भगवान का प्रिय सावन महीना भी पड़ता है। इस दौरान भगवान शिव का अभिषेक पूजन करने विशेष फलदायी माना गया है। इस साल चातुर्मास 5 महीने का होगा। (CG Raipur news) अधिकमास होने से इस बार सावन भी दो हैं।