रायपुर

भगवान राम ने इस रहस्यमयी गुफा में बिताए थे वनवास के 12 साल, जानें ये रोचक बातें

भगवान राम सद्गुणों के भंडार हैं इसीलिए हिन्दू धर्म में उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। आज हम आपको भगवान राम के वनवास के दौरान कुछ रोचक बातों के बारे में

रायपुरMar 26, 2018 / 12:19 pm

Ashish Gupta

रायपुर . भगवान राम सद्गुणों के भंडार हैं इसीलिए हिन्दू धर्म में उन्हें अपना आदर्श मानते हैं। रामचरितमानस में भगवान राम की महिमा को जो सुंदर वर्णन मिलता है वह सभी के दिलों को छू लेता है। आज हम आपको भगवान राम के वनवास के दौरान कुछ रोचक बातों के बारे में बताएंगे।
भगवान राम को 14 वर्ष का वनवास हुआ, जिसके 12 साल उन्होंने छत्तीसगढ़ में बिताए थे। इस वनवास काल में भगवान राम ने कई साधु-संतों से शिक्षा और विद्या ग्रहण की, तपस्या की। संपूर्ण भारत को उन्होंने एक ही विचारधारा के सूत्र में बांधा, लेकिन इस दौरान उनके साथ कुछ ऐसा भी घटना जिसने उनके जीवन को बदल कर रख दिया।
रामायण में उल्लेखित और अनेक शोधकर्ताओं के अनुसार जब भगवान राम को वनवास हुआ तब उन्होंने अपनी यात्रा अयोध्या से प्रारंभ करते हुए रामेश्वरम और उसके बाद श्रीलंका में समाप्त की। इस दौरान उनके साथ जहां भी जो घटा उनमें से 200 से अधिक घटना स्थलों की पहचान की गई है।
इतिहासकारों और शोधकर्ताओं ने श्रीराम और सीता के जीवन की घटनाओं से जुड़े ऐसे 200 से भी अधिक स्थानों का पता लगाया है, जहां आज भी स्मारक स्थल विद्यमान हैं, जहां श्रीराम और सीता वनवास के दौरान ठहरे थे। वहां के स्मारकों, भित्तिचित्रों, गुफाओं आदि स्थानों के समय-काल की जांच-पड़ताल वैज्ञानिक तरीकों से की।
वहीं वनवास के दौरान भगवान राम के छत्तीसगढ़ में भी प्रवास के साक्ष्य मिले हैं। इतिहासकारों के अनुसार अत्रि ऋषि के आश्रम में कुछ दिन रुकने के बाद श्रीराम ने मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ के घने जंगलों को अपना आश्रय स्थल बनाया। यह जंगल क्षेत्र था दंडकारण्य। यह क्षेत्र आजकल दंतेवाड़ा के नाम से जाना जाता है। यहां के नदियों, पहाड़ों, सरोवरों एवं गुफाओं में राम के प्रवास के सबूतों की भरमार है। वनवास के दौरान राम ने अपना लंबा समय यहां बिताया था।
वनवास के दौरान भगवान राम ने बस्तर में मौजूद एक गुफा में भी लंबा समय यहां बिताया था। जो लोग उस गुफा में गए हैं, उन्होंने बताया कि गुफा के आखिरी छोर पर एक अद्भुत शिवलिंग है। 
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इस वजह से कुटुमसर गुफा है प्रसिद्ध
कुटुमसर की गुफा जमीन से 55 फुट नीचे हैं। इनकी लंबाई 330 मीटर है। इस गुफा के भीतर कई पूर्ण विकसित कक्ष हैं जो 20 से 70 मीटर तक चौड़े हैं। विश्वप्रसिद्ध बस्तर की कुटुमसर गुफा कई रहस्यों को अभी भी अपने में समेटे हुए है जिनका द्वारा लगातार अध्ययन किया जा रहा है।

एक अध्ययन से पता चला है कि करोड़ों वर्ष पूर्व प्रागैतिहासिक काल में बस्तर की कुटुमसर की गुफाओं में मनुष्य रहा करते थे। चूना पत्थर से बनी कुटुमसर की गुफाओं के आंतरिक और बाह्य रचना के अध्ययन के बाद शोधकर्ता कई निष्कर्षों पर पहुंचे हैं। उदाहरण के लिए चूना पत्थर के रिसाव, कार्बन डाईक्साइड तथा पानी की रासायनिक क्रिया से सतह से लेकर छत तक अद्भुत प्राकृतिक संरचनाएं गुफा के अंदर बन चुकी हैं।

इस रहस्यमयी गुफा में हैं अंधी मछलियां
पानी से घिरी हुई यह अंधेरी कुटुमसर गुफा, जहां अंधी मछलियां रहती है। यह गुफाएं बहुत पुरानी बनी है और अंधी मछलियों के लिए मशहूर है, जहां सूरज की रोशनी नहीं पहुंचती जिसके कारण यहां आने वाला व्यक्ति पूरी तरह अंधा महसूस करता है। जिसके कारण यहां कि मछलियों की आखों पर एक पतली सी झिल्ली चढ़ चुकी है, जिससे वे पूरी तरह अंधी हो गई हैं।

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