डॉ खरे ने बताया कि लोगों में यह भ्रांति है कि वजन उम्र के हिसाब से देखा जाता है जबकि ऊंचाई के आधार पर वजन होना चाहिए। अभी तक कोई ऐसी तकनीक नहीं आई है जिससे बिना मशीन के बीपी चेक किया जा सके। घर पर मशीन रखना अच्छी बात है इससे आप खुद के प्रति अपडेट और अवेयर रहेंगे लेकिन डेढ़ से दो महीने में अपने डॉक्टर से जरूरी मिलें।
डॉ खरे की मानें तो मरीज कहीं से भी बीपी चेक करा लेते हैं। बीपी के दो पैरामीटर होते हैं। ऊपर का सिस्टोलिक और नीचे डायस्टोलिक। 55 की उम्र दोनों बढ़ते हैं। 55 साल से कम तक डायस्टोलिक नॉर्मल 50 हो सकता है। अब इसे आधार मानकर दवा बंद दी जाए तो आगे चलकर लकवा मार सकता है।
बीपी के मरीजों को डॉक्टर के बताए फॉर्मूले पर चलना चाहिए। ब्लड प्रेशर की दवा मेल-फीमेल, कोलेस्ट्राल और डायबीटिज को ध्यान में रखकर हर मरीज के लिए अलग-अलग तय होती है। इसे आपका डॉक्टर ही समझ सकता है। बीपी के लिए अभी तक कोई एक प्रचलित दवा नहीं है।
फिजियोथेरेपिस्ट डॉ गीतेश अमरोहित ने बताया कि उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए कुछ उपाय बायोलॉजिकल क्लॉक के हिसाब से अपनी दिनचर्या को निर्धारित करें इसका मतलब यह है कि सूर्योदय के साथ आपको उठना है और सूर्यास्त के साथ अपने कार्यों को समझते चले जाना है देर रात्रि तक जगना बीपी बढ़ाने का प्रमुख कारण है।
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