रायपुर

प्रशासन की असफलता से मां जतमाईधाम की संचालन व्यवस्था चरमराई

छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध ख्याति प्राप्त पर्यटन स्थल जतामईधाम आज अपने बदहाल स्थिति पर रोना रो रहा है। मंदिर के पंडा, पुजारियों ने अपनी व्यथा रूंधते गले से अवगत कराया। वहीं, व्यापारियों ने भी प्रशासनिक व्यवस्था के प्रति नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने बताया कि देवी-देवताओं के भोग के लिए भी सही व्यवस्था नहीं हो पा रही है। दर्शनार्थी व श्रद्धालुओं को चना, मुर्रा का प्रसाद वितरण करना पड़ रहा है।

रायपुरDec 28, 2022 / 04:23 pm

Gulal Verma

प्रशासन की असफलता से मां जतमाईधाम की संचालन व्यवस्था चरमराई

मुड़ागांव (कोरासी). छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध ख्याति प्राप्त पर्यटन स्थल जतामईधाम आज अपने बदहाल स्थिति पर रोना रो रहा है। मंदिर के पंडा, पुजारियों ने अपनी व्यथा रूंधते गले से अवगत कराया। वहीं, व्यापारियों ने भी प्रशासनिक व्यवस्था के प्रति नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने बताया कि देवी-देवताओं के भोग के लिए भी सही व्यवस्था नहीं हो पा रही है। दर्शनार्थी व श्रद्धालुओं को चना, मुर्रा का प्रसाद वितरण करना पड़ रहा है। पंडा, पुजारी व सेवाधारियों के लिए जलपान, भोजन आदि की व्यवस्था भी नहीं हो पा रही है। जतमाई माता के मुख्य पुजारी विगत माह से मंदिर छोड़ कर चले गए। वर्तमान में पुजारियों द्वारा प्रशासन के जिम्मेदार ग्राम कोटवार के पास बातें रखने से उल्टा धमकी मिलती है।
यह है मामला
जतमाईदेवी धाम ग्राम पंचायत गायडबरी के आश्रित ग्राम कोसमपानी के ऊपर पहाड़ों के मध्य स्थित है। जिसका संचालन ग्राम गायडबरी, कोसमपानी, तालेसर, पीपरछेड़ी, सांकरा, तौरेंगा के ग्रामवासियों द्वारा था। बाद में वर्ष 2013 में जतमाई सेवा समिति बनाकर पंजीयन का प्रस्ताव के लिए ग्राम पंचायत गायडबरी में ग्राम सभा हुई। पंजीकृत संस्था होने के बाद जय मां जतमई सेवा समिति द्वारा जतमाईधाम का संचालन किया जा रहा था। समिति के अध्यक्ष हरिसिह ठाकुर का 2016 में देहांत होने के बाद समिति के अन्य सदस्यों द्वारा मनमानी की जा रही थी। जहां से समिति के अंदर ही विद्रोह के स्वर उठने लगे। पूर्व समिति में सदस्य रहे गिरधर ध्रुव ने बताया कि मंदिर की दान पेटी की 4-5 बार चोरी हुई, लेकिन जांच के बाद भी कार्रवाई नहीं हुई। एक भी बार चोर पकड़ में नहीं आया। प्रति माह दान पत्र से एक से सवा लाख के बीच राशि निकलती थी। वहीं पार्किंग व्यवस्था, नारियल आदि बिक्री व अन्य माध्यमों से लाखों की आय होती थी, लेकिन हिसाब में हमेशा गड़बड़ी रहती थी। ऐसे बातों को उठाने पर समिति के दबंग लोगों द्वारा समिति की सदस्यता से बेदखल का कार्य प्रारंभ हो गया। बाहरी व्यक्तियों का नाम जोडऩा व स्थानीय सदस्यों का नाम समिति से हटाने का सिलसिला चल रहा था। वहीं पूर्व सरपंच व स्थानीय आदिवासी जनप्रतिनिधि अगहन सिंह ठाकुर ने बताया कि वर्ष 2017 से आज तक स्थानीय लोगों के साथ समिति के पदाधिकारियों द्वारा भेदभावपूर्ण व्यवहार, झूठा आरोप-प्रत्यारोप, व्यापारियों को मानसिक प्रताडऩा, पंचायती आमदनी के स्रोत को अवैधानिक रूप से वसूली करना, ग्राम पंचायत का हमेशा अवहेलना करना आदि क्रिया-कलापों से क्षेत्रीय जनता असंतुष्ट थे।
कोतवाल के हाथों में व्यवस्था
जिला प्रशासन ने कमेटी गठित कर स्थानीय अधिकारियों के हाथों कमान सौंपकर दिए, लेकिन जतमाईधाम का संचालन ग्राम कोतवाल कर रहे हैं। ग्राम पंचायत सांकरा, तैरेंगा, गायडाबरी, कनेसर व पिपरछेड़ी के ग्राम कोतवाल पर्यटन स्थल जतमईधाम का संचालन कर रहे है। पार्किंग व्यवस्था का संचालन नहं होने से आए दिन जान-माल की हानि होती है। अव्यवस्था के लिए क्षेत्र की जनता जिला प्रशासन को ही जिम्मेदार ठहराया रही है।
प्रशासन पर यह है आरोप
जिला प्रशासन द्वारा छुरा तहसीलदार को अध्यक्ष, मुख्यकार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत छुरा को सचिव,छुरा और पांडुका वन अधिकारियों को सदस्य नियुक्त कर नवरात्र पर्व से आजपर्यंत तक जतमाईधाम का संचालन किया जा रहा है। आदिवासी जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन द्वारा देवीधाम परिसर के विभिन्न हिस्सों में नोटिस चस्पा कर वनवासी जनसमूह को नियम-कानून की धमकी देने का आरोप लगाया है। वहीं, आदिवासी जनप्रतिनिधियों ने जतमाई संचालन ग्राम सभा कमेटी, ग्राम सभा के निर्णय से होना बताया। इन्होंने जिला प्रशासन पर आरोप लगाया कि छुरा विकासखंड में स्थित जतमाईधाम पूर्णत: अनुसूचित जनजाति क्षेत्र में आता है। जिस पर नौकरशाही द्वारा बलपूर्वक अधिकार करना संविधान के पेशा कानून 1996ए का उल्लंघन करता है। वहीं, पांचवी अनुसूची अनुच्छेद 244 (1) के तहत आदिवासी क्षेत्रों में प्रशासनिक व्यवस्था को आहत किया है।
लाखों का भुगतान नहीं किया प्रशासन ने
जतमाई सेवा ग्राम सभा संचालन कमेटी के सदस्य अगहन सिंह ठाकुर, ग्राम सरपंच दुलारी बाई, रामकीर्तन ध्रुव, गणेशराम ध्रुव, गिरवर ध्रुव, गोविंदराम, राधेश्याम ध्रुव आदि ने बताया कि क्वांर नवरात्र पर्व में प्रशासन ने 250 मजदूरों से 300 रुपए प्रतिदिन की दर से 9 दिन तक काम लिया। जिसे 50 मजदूरों द्वारा प्रतिवर्ष कराया जाता था। वहीं मंदिर की रंग, पेंटिंग, नलजल व्यवस्था, राशन सामग्री, लकड़ी, मजदूर व रसोइया, पुजारी, पंडा आदि का लाखों रुपए का बिल भुगतान नहीं किया गया है।
ये कहा अधिकारियों ने
उपरोक्त आरोपों के संबंध में जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त सचिव जनपद पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी वर्मा ने अनभिज्ञता जाहिर अपना पल्ला झाड़ लिया। उनका कहना है कि इस संबंध में तहसीलदार महोदया ही बता पाएंगे। वहीं, जिला प्रशासन द्वारा नियुक्त अध्यक्ष तहसीलदार छुरा ने कहा कि अभी दो ही सप्ताह मुझे प्रभार लिए हुआ है। जतमाई समिति संबंध में क्या मेटर है, ये जानकारी लेने के बाद ही बता पाऊंगा। दूसरी ओर जिला प्रशासनिक अधिकारी प्रभात मालिक से दो-तीन बार दूरभाष से संपर्क किया गया, लेकिन फोन रिसीव नहीं किया।

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