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तीज मिलन उत्सव : बेटी बचाओ मंच के तीज मिलन में सोलह शृंगार, मेहंदी की रंगत सड़कों किनारे फूली कांस, महुआ के पत्ते, दतवन, पसहर चावल और मिट्टी के बने छोटे-छोटे भगुओं की दुकानों में भीड़ रही है। दुकानदारों ने पसहर चावल 200 रुपए किलो तक बेचा। क्योंकि इसी चावल का माताएं भोग लगाती हैं। माताओं से लेकर घर के सदस्य सोमवार को तैयारियां करने में जुटे नजर आए। क्योंकि व्रत के दिन माताएं घर से बाहर नहीं निकलती है, इसलिए एक दिन पहले ही खरीदारी कर लेती हैं। महामाया मंदिर के पंडित मनोज शुक्ला के अनुसार हल षष्टी का व्रत पूजा भगवान श्रीकृष्ण के बड़े भाई बलदाऊ के जन्म तिथि के रूप में माताएं मनाती हैं।
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पर्यावरण संरक्षण : प्रकृति के अनुरूप हो जीवन शैली, प्लास्टिक का हो न्यूनतम उपयोग पूजा मान्यता के अनुसार बिना हल चले खेत की धान का चावल जिसे पसहर कहा जाता है, उसका ही शाम को भोग लगाती है। मंगलवार को सगरी नहीं खोदी जाती है, इसलिए एक दिन पहले लोग अपने घरों के सामने सगरी बना लिए। उसमें माताएं फूली हुई कांस का मंडप सजाकर भगवान शिव-पार्वती की मूर्ति विराजेंगी और विधि-विधान से कथा का श्रवण करेंगे। इसके बाद ही निर्जला व्रत खोलेंगी।