गोली मारने का निर्देश
माओवादी मारे गए लोगों को नीचे फेंकते और बचे लोगों को बंधक बनाते जब विद्याचरण की गाड़ी के पास पहुंचे, तो गोंडी भाषा जानने वाले ड्राइवर बाला ने हाथ ऊपर कर कहा कि वह निर्दोष है। उसने विद्याचरण शुक्ल को तेंदूपत्ता ठेकेदार बताया। निखिल को विद्याचरण शुक्ल का नाती बताया। दो गोली खा चुके विद्याचरण को गाड़ी से नीचे उतारकर बाकी लोगों को बंधक बनाया गया और उन्हें बंदूक के बट से मारा गया। इस बीच ऊपर पहाड़ी से निर्देश दे रहे रमन्ना नाम के व्यक्ति ने बंधक बनाए गए सभी लोगों को मार डालने का निर्देश दिया।
30 फीट दूर महेन्द्र कर्मा को मारा
गाडिय़ों से लोगों को उतारकर बंधक बनाकर जमीन पर लिटा दिया गया था। कई नेता और पीएसओ सहित करीब २३ लोग बंधक थे। सभी जमीन पर लेटे थे। इनसे करीब 30 फीट दूर पर महेन्द्र कर्मा को खड़े कर गोलियों मारी गईं।
नहीं भूले हैं, गोलियों की आवाज और चीखें…
गांव वालों के सामने झीरम घटना का जिक्र करने से वे सिहर उठते हैं। गांव के कुछ लोगों ने बताया, घटना के दौरान उनके घर तक न केवल गोलियों की आवाज आ रही थी, बल्कि घटना में फंसे लोगों की चीखें भी साफ सुनाई दे रही थीं। लेकिन डर की वजह से मदद के लिए गांव से कोई नहीं जा सका।
नहीं रोकते घाटी में गाड़ी…
झीरम घाटी से अक्सर गुजरने वालों में तो खौफ नजर नहीं दिखता। बाहरियों में डर जरूर देखा जा सकता है। हमने घाटी में लिफ्ट मांगी तो किसीं ने वाहन नहीं रोका। काफी देर बाद एक स्थानीय व्यापारी ने रूककर परेशानी पूछी। आगे केसलूर के पास एक ढाबे में हमें वहीं बस्तर से बाहर के लोग मिल गए, जिन्होंने घाटी में वाहन नहीं रोका था। कारण पूछने पर कहा ‘झीरम घाटी में कौन गाड़ी रोकेगा…’।