झीरम मामले में शासन द्वारा 21 जनवरी 2019 को अधिसूचना जारी कर जांच में 8 नए बिंदुओं को शामिल करने पर आयोग में एक बार फिर से सुनवाई शुरू की गई है। शुक्रवार की सुनवाई में झीरम घटना के तीन प्रत्यक्षदर्शी कांग्रेस नेता सैयद सत्तार अली, अवधेश गौतम व स्व. कर्मा के करीबी चंद्रभान झाड़ी के बयानों का प्रतिपरीक्षण किया गया। प्रतिपरीक्षण के दौरान तीनों गवाहों ने इस बात को सिरे से खारिज किया कि परिवर्तन यात्रा को पर्याप्त सुरक्षा दी गई थी।
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तीनों नेताओं ने आरोप लगाया कि मांगे जाने के बाद भी स्व. कर्मा को पर्याप्त सुरक्षा नहीं दी गई, परिवर्तन यात्रा वाले दिन भी उनके पास बुलेटप्रूफ पजेरो गाड़ी नहीं थी, वहीं सुरक्षाकर्मियों के नाम पर जेड प्लस सुरक्षा थी। माओवादियों की हिट लिस्ट में रहे कर्मा को पर्याप्त सुरक्षा मिलनी चाहिए थी। गवाहों ने कलेक्टर मेनन की रिहाई में स्वामी अग्निवेश, हरदेव व बीडी शर्मा के माध्यम से सरकार पर करोड़ों की रकम देने का आरोप लगाते हुए इसकी जांच किए जाने की मांग की।BREAKING: टूर एंड ट्रेवल्स संचालक के ठिकानों पर ईडी की दबिश, जुआ खिलाने ले जाता था विदेश
आयोग अध्यक्ष जस्टिस मिश्रा ने राज्य शासन समेत अन्य को 1 अक्टूबर तक शपथपत्र देने का निर्देश दिया है। साथ ही कहा है कि इसके बाद मिले शपथपत्र को आयोग संज्ञान में नहीं लेगा। मामले की आगामी सुनवाई 1 अक्टूबर को होगी, जिसमें कांग्रेस नेता विवेक वाजपेयी व दीपक कर्मा का बयान होगा। ज्ञात हो कि बस्तर के झीरम घाटी में 25 मई 2013 को कांग्रेस के परिवर्तन यात्रा में नक्सलियों द्वारा किए गए हमले में कांग्रेस के विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष नंद कुमार पटेल समेत कई दिग्गज नेता शहीद हो गए थे। परिवर्तन यात्रा पर हुए हमले की जांच के लिए तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की अध्यक्षता में झीरंम जांच आयोग का गठन किया गया था। 25 फरवरी 2019 को आयोग का कार्यकाल समाप्त होने व शासन द्वारा द्वारा अधिसूचना जारी कर जांच में 8 नए बिंदुओं को शामिल करने के बाद एक बार फिर से सुनवाई शुरू की गई है।
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