गिरोह और ठगी का तरीका
जामताड़ा गिरोह – बीमा पॉलिसी, क्रेडिट-एटीएम कार्ड की केवायसी, लिंक भेजना, मोबाइल एप डाउनलोड के अलावा कार्ड नंबर, पासवर्ड आदि तरीके से ठगी करते हैं। सभी तरह की ऑनलाइन ठगी कर सकते हैं।
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भरतपुर गिरोह – राजस्थान का भरतपुर ठग गिरोह ओएलएक्स व फेसबुक में सेकंड मोबाइल, वाहन या अन्य सामान बेचने-खरीदने के नाम पर झांसा देते हैं। इसमें खुद के सेना का जवान बताते हुए भरोसा जीतते हैं।600 से अधिक अपराध दर्ज
वर्ष 2020 में रायपुर जिले के विभिन्न थानों में सायबर फ्रॉड के 639 अपराध दर्ज हुए हैं। इसके अलावा कई लोग ऐसे हैं, जो एफआईआर दर्ज नहीं कराए हैं। पुलिस के मुताबिक हर माह करीब 40 शिकायतें जिले के थानों में आती हैं। कई मामलों में पीडि़तों का पैसा वापस कराया गया है।
कस्टमर केयर के चक्कर में ज्यादा ठगी
लॉकडाउन के बाद ऑनलाइन ठगी ज्यादा होने लगी है। इसकी बड़ी वजह ऑनलाइन खरीदी-बिक्री, भुगतान आदि का बढ़ जाना है। अधिकांश लोग गूगल सर्च इंजन से निकाले गए कस्टमर केयर नंबर के जरिए ऑनलाइन फ्रॉड के शिकार हुए हैं। कस्टमर केयर नंबर की शुरुआत 1800 नंबरों से होती है। इसके बावजूद ठगी का शिकार होने वालों ने प्रचलित मोबाइल नंबरों में कॉल किया, जो ठगों का था। प्रचलित मोबाइल नंबरों के स्थान पर संबंधित की ऑथराइज्ड वेबसाइट में दिए गए कस्टमर केयर नंबर, जो 1800 नंबरों से शुरू होते हैं उन्हीं पर कॉल करें।
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राज्य स्तर पर थाना, नहीं हो रही एफआईआर
पुलिस मुख्यालय में राज्य स्तरीय सायबर थाना बना है, लेकिन वहां एफआईआर नहीं हो रही है। आम लोगों को भी वहां तक जाने में दिक्कत होती है। सायबर थाना में सायबर ठगी के मामलों की एफआईआर होने के बाद उसकी जांच बेहतर ढंग से हो सकती है।
दूसरे राज्य का नंबर करते हैं इस्तेमाल
ऑनलाइन ठगी करने वाले काफी शातिर हैं। वे दूसरे राज्य के मोबाइल नंबर का इस्तेमाल करते हैं, जिससे पुलिस को उनका लोकेशन दूसरे राज्य में मिलता है। झारखंड के जामताड़ा वाले बिहार या पश्चिम बंगाल के मोबाइल नंबरों का इस्तेमाल ठगी करने के लिए करते हैं।