दरअसल, डेढ़ साल पहले उपाध्याय प्रवर प्रवीण ऋषि रायपुर आए थे। तब उन्होंने समाज से आह्वान किया था कि अपने घरों में गौतम लब्धि कलश की स्थापना करें। रोज इसमें श्रद्धा के अनुसार दान राशि डालें। चातुर्मास के लिए प्रवीण ऋषि एक बार फिर रायपुर आए हैं। पटवा भवन में रविवार को उन्हीं की मौजूदगी में इन कलशों को खोला गया। इससे बड़ी धन राशि इकट्ठा हुई है। कार्यक्रम में पूर्व मंत्री राजेश मूणत बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे। इस दौरान रायपुर श्रमण संघ के अध्यक्ष ललित पटवा ने बोलियां लगवाई। उन्होंने बताया, रायपुर के अलावा आसपास के शहरों से भी बड़ी संख्या में लोग पहुंचे थे। गुरुदेव की आज्ञा से कलशों को खोला गया। रकम समाज की भलाई पर खर्च की जाएगी। कार्यक्रम के बाद लोग अपने कलश लेकर घर चले गए हैं। अब इनमें एक बार फिर दान इकट्ठा किया जाएगा। उन्होंने बताया कि अर्हम विज्जा के अंतर्गत 10 अगस्त से लगने वाले शिविरों की तैयारियां व्यापक रूप से शुरू हो गईं हैं।
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ललिता विस्त्रा ग्रंथ पर प्रवचन मनोहरमय चातुर्मास समिति के अध्यक्ष सुशील कोचर और महासचिव नवीन भंसाली ने बताया कि यह प्रवचन ललित विस्त्रा ग्रंथ पर आधारित है। साध्वी शुभंकरा श्रीजी के मुखारविंद से सकल श्रीसंघ को जिनवाणी श्रवण का लाभ दादाबाड़ी में मिल रहा है। शिव को आशीर्वाद देने घर पहुंचे संत प्रवीण ऋषि रविवार सुबह लेखक शिव ग्वालानी के घर पहुंचे। उन्हें और पूरे परिवार को आशीर्वाद दिया। 20 मिनट की बातचीत में धर्म, समाज से जुड़े विभिन्न विषयों पर चर्चा हुई।
एक दिन तो जाना ही है, फिर क्यों पत्थर बरसाना एमजी रोड के जैन दादाबाड़ी में चल रहे प्रवचन में रविवार को नवकार जपेश्वरी साध्वी शुभंकरा ने कहा कि जो संसार में आता है, उसे एक दिन जाना ही है। फिर क्यों जीते-जी किसी पर पत्थर बरसाना। हम इस दुनिया में रहकर एक मुकाम तक पहुंचना चाहते हैं। नाम कमाकर बड़ा बनना चाहते हैं। उससे फायदा क्या होगा? आपका अस्तित्व तो इस दुनिया से खत्म होना ही है। आज या कल, यह तो किसी को नहीं पता। लेकिन, यह जरूर पता है कि जाना तो है ही। उन्होंने कहा कि आज हम अपना वजूद कायम करने के लिए दूसरों पर जुल्म ढोते है।
सांसारिक सुख सुविधाओं का भोग करने के लिए आज हम कितने लोगों का शोषण करते हैं। बुरा-भला कहकर अपना काम निकलवा लेते हैं। साम, दाम, दंड और भेद के बाद भी काम नहीं बने तो लोग आज किसी की भावनाओं से भी खेल लते है। आज अखबारों में ऐसी खबरे रोज पढ़ने को मिलती है। किसी ने किसी को धोखा दिया। जज्बातों से खेला। झांसा देकर रुपए लिए। क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा करके उन्हें क्या मिलता होगा? क्रोध में आकर भावनात्मक होकर लोग बदले की भावना रखते हैं।