scriptमौत के 19 साल बाद मिला न्याय, कोर्ट ने कहा- बीमा कंपनी देगी 5.40 लाख का क्लेम | Insurance company will give claim of 5.40 lakh after 19 years of death | Patrika News
रायपुर

मौत के 19 साल बाद मिला न्याय, कोर्ट ने कहा- बीमा कंपनी देगी 5.40 लाख का क्लेम

Justice after 19 years of death : एसईसीएल मध्यप्रदेश के अनूपपुर स्थित मांइस में काम करने वाले सभी कर्मचारियों का 16 अक्टूबर 1999 से 15 अक्टूबर 2009 की अवधि के लिए सामूहिक बीमा कराया गया था।

रायपुरMay 24, 2023 / 12:56 pm

चंदू निर्मलकर

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रायपुर. Justice after 19 years of deathमौत के 19 साल बाद मृत व्यक्ति के परिजन को 5.40 लाख रुपए की बीमा क्लेम मिलेगा। राज्य उपभोक्ता आयोग ने दि ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड बिलासपुर को इसके आदेश दिए हैं। यह राशि 45 दिन के भीतर अदा करने कहा है। एसईसीएल मध्यप्रदेश के अनूपपुर स्थित मांइस में काम करने वाले सभी कर्मचारियों का 16 अक्टूबर 1999 से 15 अक्टूबर 2009 की अवधि के लिए सामूहिक बीमा कराया गया था। (State Consumer Commission ) इस दौरान 7 फरवरी 2004 को उदयभान सिंह की हत्या हो गई। इस घटना के बाद 4 वर्ष बाद उनकी पत्नी रामरति सिंह ने 2008 में बिलासपुर स्थित दि ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी में बीमा दावा राशि के लिए क्लेम किया। लेकिन, कंपनी ने विलंब से क्लेम करने और हत्या को दुर्घटना नहीं मानने का हवाला देते हुए उसे खारिज कर दिया।
बीमा राशि नहीं मिलने पर पीड़ित महिला ने 2009 में जिला उपभोक्ता फोरम बिलासपुर में परिवाद दायर किया। इसकी जांच करने के बाद कंपनी को समंस जारी कर अपना पक्ष रखने कहा। इस दौरान कंपनी ने अपना बचाव करते हुए कहा कि बीमा पॉलिसी 2002 में निरस्त कर दी गई थी। इसकी सूचना सभी को भेजी गई है। कंपनी केवल दुर्घटना होने पर ही क्लेम को स्वीकार करती है। बीमित व्यक्ति की हत्या के कारण मौत हुई है। इसलिए यह दुर्घटनात्मक मृत्यु की श्रेणी में नहीं आती। बीमा राशि के लिए किया गया क्लेम घटना के 4 वर्ष बाद किया गया है। जिला उपभोक्ता फोरम ने बीमा कंपनी की दलील को खारिज करते हुए पीड़ित को क्लेम का राशि का भुगतान करने का आदेश दिया।
क्लेम नहीं देने के लिए आयोग पहुंची कंपनी

जिला फोरम के आदेश के खिलाफ बीमा कंपनी ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील की, जहां आयोग के अध्यक्ष एवं न्यायमूर्ति गौतम चौरड़िया एवं सदस्य प्रमोद कुमार वर्मा ने दस्तावेजों का निरीक्षण किया। इस दौरान पता चला, बीमा पॉलिसी के निरस्तीकरण की व्यक्तिगत सूचना बीमाधारक को नहीं दी गई थी। बीमा पॉलिसी की शर्तों में किसी प्रकार का संशोधन बीमा कंपनी अकेले नहीं कर सकती थी। सुप्रीम कोर्ट में हत्या से मृत्यु को दुर्घटनात्मक मृत्यु माना गया है। राष्ट्रीय आयोग द्वारा प्रतिपादित सिद्धांत एवं आईआरडीए का दिशा निर्देश है कि केवल विलंब के आधार पर वास्तविक दावों को निरस्त नहीं किया जा सकता। इन सभी परिस्थितियों को देखते हुए 30 दिसंबर 2021 से 5 लाख रु. 6% ब्याज दर के साथ दी जाए। साथ ही मानसिक पीड़ा का 5000 और वाद व्यय का 3000 रु. बीमा कंपनी मृतक के परिजन को अदा करें।

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