इन अधिकारियों पर चिटफंड कंपनियों (India’s fraud company) को क्लीनचिट देने का आरोप लगा है। पुलिस ने अपराध दर्ज करने के बाद मामले की जांच शुरू कर दी है। पीडि़त संतोष साहू, दिनेश पानिकर व अन्य लोगों से पुलिस ने मूल दस्तावेजों की मांग की है। साथ ही उन्हें बयान देने के लिए बुलाया है। मामले में पूर्व गृहमंत्री का नाम भी सामने आया है।
इनकी रहती है महत्वपूर्ण जिम्मेदारी
जिला प्रशासन में अल्प बचत योजना अधिकारी होता है, जिसकी टीम का काम जिले में संचालित बचत योजनाओं और बचत स्कीम चलाने वाली संस्थाओं के बारे में जानकारी रखना होता है। इसके अलावा विभिन्न आर्थिक गतिविधियों पर भी नजर रखनी होती है। कर्ज, ब्याज या बचत योजना संचालित करने वाले संस्थान, व्यक्ति या अन्य के बारे में जानकारी रखना होता है।
जिला प्रशासन में अल्प बचत योजना अधिकारी होता है, जिसकी टीम का काम जिले में संचालित बचत योजनाओं और बचत स्कीम चलाने वाली संस्थाओं के बारे में जानकारी रखना होता है। इसके अलावा विभिन्न आर्थिक गतिविधियों पर भी नजर रखनी होती है। कर्ज, ब्याज या बचत योजना संचालित करने वाले संस्थान, व्यक्ति या अन्य के बारे में जानकारी रखना होता है।
गुमास्ता एक्ट की नहीं करते जांच
नगर निगम से गुमास्ता लाइसेंस लेते समय संबंधित व्यक्ति या संस्थान को अपने कार्य का उल्लेख करना पड़ता है। गुमास्ता लाइसेंस देने के बाद उसमें उल्लेखित कार्य वास्तव में हो रहे हैं या नहीं? इसकी जांच कोई नहीं करता है। इसके चलते कई लोग व्यापारिक संस्थान शुरू करने के लिए गुमास्ता लाइसेंस किसी भी कार्य के नाम से ले लेते हैं, लेकिन वास्ताव में दूसरा कार्य करते रहते हैं। कई चिटफंड (chitfund company) कंपनियां भी संस्थान स्थापित करने के लिए (gumasta) गुमास्ता लाइसें लेती है।
नगर निगम से गुमास्ता लाइसेंस लेते समय संबंधित व्यक्ति या संस्थान को अपने कार्य का उल्लेख करना पड़ता है। गुमास्ता लाइसेंस देने के बाद उसमें उल्लेखित कार्य वास्तव में हो रहे हैं या नहीं? इसकी जांच कोई नहीं करता है। इसके चलते कई लोग व्यापारिक संस्थान शुरू करने के लिए गुमास्ता लाइसेंस किसी भी कार्य के नाम से ले लेते हैं, लेकिन वास्ताव में दूसरा कार्य करते रहते हैं। कई चिटफंड (chitfund company) कंपनियां भी संस्थान स्थापित करने के लिए (gumasta) गुमास्ता लाइसें लेती है।
शिकायतों की नहीं करते जांच
चिटफंड कंपनियों (India’s fraud company) की शिकायत लगातार पुलिस और जिला प्रशासन तक आती रहती है, लेकिन इन शिकायतों पर तत्काल एक्शन नहीं लिया जाता है। जांच के नाम पर सालों लटकाया जाता है। इस कारण भी कंपनियां चलती रहती है। अगर जिला प्रशासन तक शिकायत आती है, तो कंपनी के दलाल मामला सुलझाने के लिए अफसरों से मिलते हैं।
चिटफंड कंपनियों (India’s fraud company) की शिकायत लगातार पुलिस और जिला प्रशासन तक आती रहती है, लेकिन इन शिकायतों पर तत्काल एक्शन नहीं लिया जाता है। जांच के नाम पर सालों लटकाया जाता है। इस कारण भी कंपनियां चलती रहती है। अगर जिला प्रशासन तक शिकायत आती है, तो कंपनी के दलाल मामला सुलझाने के लिए अफसरों से मिलते हैं।
सेबी, आरबीआई के निर्देशों की जांच नहीं
जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है कि कोई वित्तिय संस्थान शहर में संचालित हो रहा है, तो वह सेबी, आरबीआई (RBI) या आरओसी एक्ट के मापदंडों के अनुरूप चल रहा है या नहीं? मापदंडों का पालन नहीं होने पर संबंधित कंपनी को संचालित होने से जिला प्रशासन रोक लगाा सकती है, लेकिन कई मामलों में आम लोगों की शिकायत मिलने के बाद बावजूद क्लीनचिट दे दिया जाता है।
जिला प्रशासन की जिम्मेदारी है कि कोई वित्तिय संस्थान शहर में संचालित हो रहा है, तो वह सेबी, आरबीआई (RBI) या आरओसी एक्ट के मापदंडों के अनुरूप चल रहा है या नहीं? मापदंडों का पालन नहीं होने पर संबंधित कंपनी को संचालित होने से जिला प्रशासन रोक लगाा सकती है, लेकिन कई मामलों में आम लोगों की शिकायत मिलने के बाद बावजूद क्लीनचिट दे दिया जाता है।
इसमें भी यही हुआ
सांई प्रसाद और सनसाइन चिटफंड कंपनियों के मामले में भी यही हुआ है। प्रशासनिक अधिकारियों और उनके मातहतों ने चिटफंड कंपनियों (Chitfund company) से जुड़ी गतिविधियों को रोकने कदम नहीं उठाया और प्रत्याक्ष या अप्रत्याक्ष रूप से उन्हें फायदा पहुंचाया।
सांई प्रसाद और सनसाइन चिटफंड कंपनियों के मामले में भी यही हुआ है। प्रशासनिक अधिकारियों और उनके मातहतों ने चिटफंड कंपनियों (Chitfund company) से जुड़ी गतिविधियों को रोकने कदम नहीं उठाया और प्रत्याक्ष या अप्रत्याक्ष रूप से उन्हें फायदा पहुंचाया।
मामले की जांच की जाएगी। पीडि़तों से जरूरी दस्तावेज लिए जाएंगे। इसके बाद ही मामला स्पष्ट हो सकेगी।
अजयशंकर त्रिपाठी, टीआई, राजेंद्र नगर, रायपुर India’s Fraud Company
अजयशंकर त्रिपाठी, टीआई, राजेंद्र नगर, रायपुर India’s Fraud Company