हालांकि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ। फायरिंग के समय पुलिस मुख्यालय में अधिकारियों-कर्मचारियों का आना-जाना भी शुरू नहीं हुआ था। गिनती के कर्मचारी पहुंचे थे। घटना को पुलिस अफसरों ने एक्सीडेंटल फायरिंग माना है। जवान के खिलाफ विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। उसकी मानसिक स्थिति का भी पता लगाया जा रहा है।
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पुलिस के मुताबिक पीएचक्यू की सुरक्षा में 14वीं बटालियन का आरक्षक राकेश यादव तैनात था। मंगलवार को उसकी ड्यूटी सुबह 6 से 9 बजे तक थी। ड्यूटी खत्म होने के बाद राकेश पीएचक्यू के मोर्चा पाइंट से अपनी इंसास रायफल लेकर बैरक आ रहा था। करीब डेढ़ सौ मीटर चलने के बाद अचानक उसकी रायफल से ब्रस्ट फायरिंग होने लगी। बता दें कि जवान यूपी के जौनपुर का निवासी है। नक्सली साथियों की मौत से डिप्रेशन में था पुलिस के मुताबिक जवान के साथ ड्यूटी करने वाले दो साथियों की हाल ही में मौत हुई थी। एक को कैंसर हो गया था। जिसकी इलाज के दौरान ही मौत हो गई थी। वहीं दूसरे की सड़क हादसे में मौत हुई थी। नक्सली साथियों के मौत के बाद से जवान डिप्रेशन में चला गया था।
मोर्चा पाइंट पर मिले गोलियों के निशान एक के बाद एक 12 राउंड गोलियां चली। इस दौरान बैरक में उपिस्थत उसके अन्य साथी घबरा गए। दौड़कर जवान पर काबू पा उससे रायफल ले ली। सभी गोलियां हवा में चली हैं। हालांकि मोर्चा पाइंट के छत में कुछ छेद मिले हैं, जिसे गोलियों से बनना बताया जा रहा है। अफसरों ने इसकी पुष्टि नहीं की। बताया जाता है कि फायरिंग के दौरान जवान शोर भी मचा रहा था। इससे उसके तनाव में होने की बात सामने आ रही है।
जवान को बटालियन ले गए घटना की सूचना मिलते ही पुलिस अफसरों में हड़कंप मच गया। बटालियन के अधिकारी और पुलिस अधिकारी भी मौके पर पहुंच गए। जवान को पहले राखी पुलिस ने अपने कब्जे में लिया। इसके बाद उसे बटालियन भेज दिया गया। मामले की विभागीय जांच के आदेश दिए गए हैं। जवान के खिलाफ किसी तरह की पुलिस कार्रवाई नहीं की गई है। राकेश वर्ष 2019 में भर्ती हुआ था। इसके बाद से उसकी वहीं पर ड्यूटी लग रही है। इसके चलते भी तनाव में होना बताया जा रहा है।
सुरक्षा पर सवाल फायरिंग की घटना सुबह 9 बजे हुई है। दरअसल उस समय तक पुलिस मुख्यालय में अधिकारी-कर्मचारी नहीं थे। कुछ गिने-चुने कर्मचारी ही पहुंचे थे। इस घटना ने पुलिस मुख्यालय जैसे हाई सिक्योरिटी जोन की सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा कर दिया है।