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CG Festival Blog: गांव की दीवाली में गोवर्धन पूजा का महत्व

CG Festival Blog: छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में दीवाली मुख्यतौर पर गोवर्धन पूजा को देवारी त्यौहार के नाम से मनाया जाता है। देवारी त्यौहार का उत्सव एक विशेष परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर के साथ मनाया जाता है।

रायपुरOct 23, 2024 / 06:33 pm

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CG Festival Blog: छत्तीसगढ़ के ग्रामीण अंचलों में दीवाली मुख्यतौर पर गोवर्धन पूजा को देवारी त्यौहार के नाम से मनाया जाता है। देवारी त्यौहार का उत्सव एक विशेष परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर के साथ मनाया जाता है। यहाँ की दीवाली में ग्रामीण जीवन की सादगी, प्रकृति के साथ गहरा संबंध, और परंपराओं का अद्वितीय रंग देखने को मिलता है। ग्रामीण इलाकों में दीवाली का उत्साह कुछ दिन पहले से ही शुरू हो जाता है, जब लोग अपने घरों की सफाई, रंगाई-पुताई और सजावट में लग जाते हैं।
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गाँवों में दीवाली का सबसे प्रमुख पहलू गोवर्धन पूजा, गौरी- गौरा पूजा और गौ-पूजा होता है। पशुधन, विशेष रूप से गायों का, यहाँ के ग्रामीण जीवन में खास महत्व है। गोवर्धन पूजा के दिन किसान अपनी गायों को नहलाते हैं, उन्हें रंग-बिरंगे कपड़े, फूलों की माला और घंटियाँ पहनाते हैं। इसके बाद उनकी पूजा की जाती है, और पशुओं को खिचड़ी भी खिलाते हैं। गाय जो समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति का प्रतीक है। गाँवों के लोग मानते हैं कि पशुधन के संरक्षण और उनकी सेवा से ही फसलें अच्छी होती हैं और परिवार में सुख-शांति आती है।

मिट्टी के दियों का बहुत महत्व

हमारे ग्रामीण दीवाली में मिट्टी के दीयों का बहुत महत्व है। लोग घर के आँगन, खलिहान, और मंदिरों में दीये जलाते हैं, जो अंधकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक होते हैं। इसके साथ ही, ग्रामीण क्षेत्रों में पटाखों का प्रचलन कम होता है, और ज़्यादातर लोग पारंपरिक तरीकों से उत्सव मनाते हैं।

दीपदान कर देते है शुभकामनाएं

इसके अलावा, गाँवों में एक-दूसरे के घर जाकर दीपदान कर के शुभकामनाएँ देते हैं, मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं, और गौरी – गौरा लोक गीत एवं नृत्य के माध्यम से दीवाली का जश्न मनाते हैं। हमारे गाँवों में दीवाली का यह उत्सव सामूहिकता, सादगी और प्रकृति के साथ सामंजस्य का जीवंत उदाहरण है।
लेकिन आज कल गांवों में लगातार असामाजिक तत्वों की संख्या बढ़ती जा रही है, जिसके कारण गांव में त्यौहार के माहौल को खराब करते है। मारपीट और झगड़ा लड़ाई में ही दीवाली निकल जाता है, इस खुशी के त्यौहार को इन लोगों के कारण गांव में कभी दुःख का माहौल बन जाता है । मेरा एक विचार है कि इस प्रमुख त्यौहार के दौरान शराब के दुकान की बंद करना चाहिए ताकि सभी लोग सादगी से त्यौहार मना सकें।
ओमकार साहू BJMC 1st semester
शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव छत्तीसगढ़

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