दीक्षांत के दौरान कई डिग्रीधारी और उनके पैरैंट्स डिग्री लेकर बाहर निकल गए जबकि कार्यक्रम जारी था। आईआईएम के एक प्रोफेसर ने बाहर निकलकर उन्हें डांटा।
दिखी छत्तीसगढ़ झलक
डिग्री ऊपर, मोमेंटो नीचे
छात्रों को अतिथियों की ओर से मंच पर डिग्री दी जा रही थी। विद्यार्थी डिग्री लेने दो-दो की संख्या में मंच पर आ रहे थे। उनमें से एक को डायरेक्टर और दूसरे को बोर्ड ऑफ गवर्नर चेयरपर्सन डिग्री दे रहे थे। जबकि मंच से नीचे उतरते ही इंस्टीट्यूट की अन्य फैकल्टी उन्हें मोमेंटो दे रहे थे।खुद पर भरोसा रखो, खूब मेहनत करो
पीजीपी में सेकंड हाईएस्ट सीजीपीए हासिल करने वाली तन्वी को डायरेक्टर गोल्ड मेडल मिला। इंदौर की तन्वी ने बताया, मेरा प्लेसमेंट हो गया है। मैं जल्द ही जॉब ज्वाइन करूंगी। लोग कहते थे कि मैं आगे नहीं बढ़ सकती। लेकिन मुझे खुद पर भरोसा था। यही वजह है कि मैं अपनी मंजिल तक पहुंची। मुझे पढऩे का बहुत शौक था। मैंने मैग्जीमम टाइम पढ़ाई मे ही दिए। यही वजह है कि मुझे डायरेक्टर गोल्ड मिला। बड़े-बड़े ऑर्गेनाइजेशन में मैं लीडरशिप की पोजिशन में जाना चाहती हूं। खुद पर भरोसा रखो, खूब मेहनत करो और जिस चीज के लिए आप आए हो उस पर पूरी तरह फोकस्ड रहो।कॉन्सेप्ट क्लियर रखें, मेहनत का कोई तोड़ नहीं
ईपीजीपी में बीओजी चेयरमैन गोल्ड हासिल करने वाली मुंबई की प्राची दीक्षित ने कहा, गृहस्थी, कामकाज और पढ़ाई के बीच तालमेल बिठाने के लिए टाइम मैनेजमेंट बहुत मायने रखता है। मैंने भी यही किया। गोल्ड मिल जाएगा इसका अंदाजा नहीं था लेकिन मैंने बेहतर परफॉर्मेंस के लिए पूरी कोशिश की थी। जूनियर को दिए मैसेज में कहा कि कॉन्सेप्ट क्लियर रखें। मेहनत का कोई तोड़ नहीं होता। अगर आप डिसिप्लिन रखते हैं तो चीजें आसान होने लगती हैं।जो भी करें उसमें अपना बेस्ट दें
ओवरऑल परफॉर्मेंस में मेडल हासिल करने वाले लखनऊ के अर्जुन वांसिल ने बताया कि ये मेडल उन्हें मिलता है जो एडेकमिक के साथ ही एक्स्ट्रा करिकुलर में भी बेहतर परफॉर्म करते हैं। जूनियर को दिए मैसेज में कहा कि मेडल मिलेगा यह सोचकर पढ़ाई न करें बल्कि जो भी करें उसमें अपना बेस्ट दें।लगा कि मेहनत सफल हुई
पीजीपी चेयरपर्सन मेडल हासिल करने वाले मुंबई के रेवंत मधुर अग्रवाल ने कहा कि मैंने अच्छे से पढ़ाई की थी और जब मेरा नाम मेडल के लिए पुकारा गया तो लगा कि मेहनत सफल हुई। मेरा एटीट्य़ूड हमेशा से कंसिस्टेंट और गोल्स पर फोकस्ड रहा है।
सिंगापुर से आए मेडल लेने
टाइम मैनेजमेंट बड़ा चैलेंज
ईपीजीपी डायरेक्टर गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाली नोएडा की रहने वाली ईशा भाटिया ने बताया, मैंने जिस डिटर्मिनेशन के साथ काम किया है था मुझे उम्मीद थी कि ऐसा अचीवमेंट मिलेगा। प्रोफेशनल होने के नाते ्रटाइम मैनेजमेंट बहुत मुश्किल होता है। हमने वीकेंड में पढ़ाई की है, कामकाजी होने के नाते हमें वीकेंड फैमिली में बिताना होता है। ऐसे में टाइम को मैनेज करना ही बड़ा चैलेंज होता है।
मेल देखकर झूम उठी थी