होली नजदीक है। त्योहार मनाने हर कोई आतुर है। संगठन अभी होलिका दहन की तैयारियों में जुटे हैं। त्योहारी खुशियां अब बाजारों में भी नजर आने लगी हैं। पिचकारियों, तरह-तरह के रंग-गुलालों की अस्थाई दुकानें फुटपाथ पर सज गई हैं। बड़े दुकानों पर भी उल्लास नजर आ रहा है। दुकानदारों को अच्छा सीजन निकालने की उम्मीद है।
होली दहन 24 मार्च को है। जबकि होली 25 मार्च को। रंग गुलाल के थोक विक्रेता रमेश विरानी ने बताया कि हर्बल रंगों की अधिक मांग है। यह लोगों को नुकसान नहीं पहुंचाते। इसमें अरारोट व फूल पत्तियों का इस्तेमाल होता है। जबकि, सामान्य गुलाल सोप स्टोन पाउडर और केमिकल से बनता है। यह त्वचा और आंखों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
व्यवसायी रवि मोटवानी और मनीष भोजवानी के अनुसार, हर्बल गुलाल बाजार में 100 से 120 रुपए किलो बिक रहा है। जबकि, रंगोली का गुलाल 10 से 40 किलो है। असली हर्बल कलर 40 रुपए का 10 ग्राम बिक रहा है। वहीं, कैमिकल युक्त कलर 5 से 7 रुपए के पाउच में बिक रहे हैं। रंग-पिचकारियों के बाजार में चीनी आइटम्स की अब भी अच्छी-खासी घुसपैठ है। हां, ये बात जरूर है कि लोग अब स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दे रहे हैं।
चर्म रोग विशेषज्ञ पीके निगम ने बताया कि रासायनिक रंग ऊपरी त्वचा को नुकसान पहुंचाते हैं। ऐसे रंग में सीसा-जस्ता जैसे हानिकारक तत्वों की मात्रा बहुत ज्यादा होती है। इसके नाक-मुंह में जाने पर घबराहट, बेचैनी हो सकती है। चक्कर आ सकते हैं। बाल झड़ने लगते हैं। रंग-गुलाल लगाने से पहले त्वचा और बालों पर अच्छे से तेल, वैस्लिन या ग्लिसरीन लगा लें। इससे हानिकारक रंग ब्लड सेल्स तक नहीं पहुंच पाएंगे।
बच्चों के लिए गुलाल गन करीब 150 रुपए में उपलब्ध है। इसमें गुलाल भरते ही प्रेस करने पर गुलाल का गुबार निकलता है। फाग बम फुटने गुलाल का फव्वारा छोड़ता है। पीएम मोदी और यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के साथ राहुल गांधी के फोटो वाली पिचकारी भी बच्चों को खूब लुभा रही है। इसी तरह योगी का बुलडोजर, मोदी का मास्क और भगवा गुलाब की बाजार में जबरदस्त डिमांड है। इसके आलावा विभिन्न मास्क, स्पाइडर-मैन, छोटा भीम जैसे कार्टून कैरेक्टर वाली पिचकरिया भी काफी ट्रेंड में हैं।