36 हजार करोड़ के नागरिक आपूर्ति निगम (नान) घोटाले को लेकर एक बार फिर राजनीतिक गरमा गई है।नई सरकार बनने के बाद नान घोटाला उस समय सुर्खियों में आया जब इसके आरोपी आईएएस अनिल टुटेजा ने मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को पत्र लिखकर नान घोटाले की निष्पक्ष जांच की मांग की। उन्होंने छह पन्नों का पत्र सौंपकर कई ऐसे मसलों पर ध्यान आकर्षित करवाया कि मुख्यमंत्री को भी नान घोटाले की फाइल मंगवानी पड़ी। टुटेजा ने अपने पत्र में यह भी आरोप लगाया है कि कई प्रभावशाली नेताओं को बचाने के लिए मुझे फंसा दिया गया। उन्होंने पत्र में लिखा है कि नान में उनकी नियुक्ति सात से आठ माह पहले से हुई थी। जबकि गड़बडिय़ां लंबे समय से चल रही थी।
आईएएस अधिकारी डा.आलोक शुक्ला और नान के तत्कालीन एमडी अनिल टुटेजा के खिलाफ अभियोजन चालान के लिए राज्य सरकार ने केंद्र को चिट्ठी लिखी थी। 4 जुलाई 2016 को केंद्र ने अभियोजन की अनुमति दे दी थी, बावजूद इसके राज्य शासन ने कोई कार्रवाई नहीं की थी। ऐन चुनाव के पहले करीब ढाई साल बीतने के बाद राज्य सरकार ने पूरक चालान पेश करते हुए दोनों ही आईएएस अधिकारियों के नाम शामिल किए थे।
अनिल टुटेजा के अग्रिम जमानत याचिका लगाते हुए कोर्ट से कहा था कि एफआईआर में नाम दर्ज नहीं है। 5 दिसंबर 2018 को पूरक चालान पेश कर नाम जोड़ा गया, इससे ना तो पुलिस ने गिरफ्तार किया और ना ही किसी तरह से पूछताछ के लिए बुलाया। 30 महीने बाद एफआईआर दर्ज किया गया। तमाम पहलूओं को सुनने के बाद हाईकोर्ट ने अनिल टुटेजा को अग्रिम जमानत दे दी है।