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नगर निगम और जिला प्रशासन भी मिलावटी रंग बिकने की खबर से अनजान है। यानी तीनों विभाग जांच और कार्रवाई के लिए अधिकार नहीं होने का दावा कर बचने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि मार्केट में धड़ल्ले से मिलावटी रंग बिक रहे हैं। उन रंगों की पहचान कोई भी नहीं कर पाता। इसका साइड इफेक्ट त्योहार बीतने के बाद पता चलता है।
जिले के सरकारी अस्पतालों में सैकड़ों लोग त्वचा संबंधी इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। पत्रिका पड़ताल में जानकारी आई है कि जिले में दर्जनों अवैध गुलाल फैक्ट्रियां खुल गई हैं। आंबेडकर अस्पताल के त्वचा रोग डिपार्टमेंट की रिपोर्ट बताती है कि होली के दूसरे दिन से ही त्वचा रोगी पहुंचते है। 100 में से 20 लोगों के त्वचा में एलर्जी होने की शिकायत होती है। इनमें पुरुषों की संख्या ज्यादा पाई गई है। ज्यादातर पुरूष रंग अधिक समय तक खेलते है। धूप में भी ऐसे रंग सूखने के बाद ही इफैक्ट शुरू होता है।
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जाने किस रंग में क्या मिलाते हैं रंग मिलावटी तत्व होने वाली एलर्जी चमकीले रंग पिसा हुआ शीशा – नीला रंग लेड लाल चकते होते हैं पीला रंग क्रोमियम आयोडाइड एलर्जी और सांस की बीमारी
सिल्वर रंग एल्युमिनियम ब्रोमाइड स्किन कैंसर होती है ब्लैक कलर लेड एलर्जी व स्किन को नुकसान पहुंचता है ग्रीन कलर कॉपर सल्फेट आंख की बीमारी व अंधत्व का कारण रेड कलर मरक्यूरिक ऑक्साइड एलर्जी और स्किन कैंसर होता है