HMPV Virus: पड़ोसी राज्य होने से बढ़ सकती है प्रदेश की चिंता
डॉक्टरों का कहना है कि एचएमपीवी सांस संबंधी बीमारी है। इसमें फेफड़ों पर संक्रमण होता है। यह स्वाइन लू व कोरोना जैसे लक्षण वाली बीमारी है। हालांकि इस वायरस की खोज 2001 में की जा चुकी है। चीन में इस वायरस से काफी संख्या में बच्चे बीमार पड़ रहे हैं। वहीं, 8 जनवरी तक महाराष्ट्र में तीन, कनार्टक व तमिलनाडु में दो-दो व गुजरात में एक केस मिल चुके हैं। महाराष्ट्र के पड़ोसी राज्य होने से प्रदेश की चिंता बढ़ सकती है। ‘पत्रिका’ की पड़ताल में पता चला है कि आंबेडकर व निजी अस्पतालों के पीडियाट्रिक विभाग की ओपीडी में सर्दी व खांसी के मरीज बड़ी संया में आ रहे हैं। (#HmpvVirus) डॉक्टरों के अनुसार, एचएमपीवी दूसरी बीमारियों से पीड़ित बच्चों के लिए ज्यादा खतरा है। ऐसे बच्चों के परिजनों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। 5 साल से कम उम्र वाले बच्चे, बुजुर्ग, कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले, अस्थमा व सीओपीडी बीमारी वालों के लिए रिस्क ज्यादा है।
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सामान्य लू व निमोनिया के मरीजों की एंट्री जरूरी
स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि अभी तक राजधानी समेत प्रदेश से कोई भी सैंपल जांच के लिए नहीं भेजा गया है। खांसने, छींकने, मुंह, नाक व आंख को छूने से ये बीमारी फैल सकती है, जैसा कि कोरोना व स्वाइन लू में होता है। नियमित रूप से साबुन से हाथ धोना। सेनिटाइजर का उपयोग करना। अस्पताल व भीड़भाड़ वाली जगहों पर मास्क लगाना। बीमार लोगों से दूर रहना। खांसते व छींकते समय मुंह पर रूमाल लगाएं।
सांस संबंधी बीमारी पर घर में ही रहें।
आवश्यक सुझाव एवं दिशा-निर्देश तैयार
HMPV Virus: एचएमपीवी पर सतत निगरानी रखने के लिए बुधवार को एक तकनीकी समिति का गठन किया गया है। कमेटी बीमारी के संक्रमण से रोकथाम, जागरुकता एवं कार्ययोजना के संबंध में आवश्यक सुझाव एवं दिशा-निर्देश तैयार करेगी। कमेटी के अध्यक्ष महामारी नियंत्रण के डायरेक्टर डॉ. एसके पामभोई बनाए गए हैं। वहीं डिप्टी डायरेक्टर डॉ. खेमराज सोनवानी, डॉ. धर्मेन्द्र गहवई, राज्य सलाहकार आईएसडीपी आकांक्षा राणा व राज्य सलाहकार आईएसडीपी चयनिका नाग शामिल हैं। (chhattisgarh news) समिति राज्य में बीमारी के संबंध में समय-समय पर अपना प्रतिवेदन अभिमत स्वास्थ्य विभाग को प्रस्तुत करेगी। कमेटी में न पीडियाट्रिशियन है और न ही चेस्ट एक्सपर्ट। इस पर जानकारों ने सवाल उठाए हैं।