Hareli Tihar 2024: लेकिन छत्तीसगढ़ में शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति होगा जिसने कभी ऐसे दृश्य के बारे में ना सुना हो। उस जलती-बुझती चीज को टोनही बरना कहा जाता है। बताया जाता है कि प्रतिवर्ष हरेली ( Hareli Tihar) अर्थात् श्रावण कृष्ण अमावस्या की रात्रि को टोनही औरतें जादू-टोना ( करने वाली औरतें अपना मंत्र सिद्ध करती हैं। उनका मंत्र ढाई अक्षरों का होता है जिसे सिद्ध करने के लिए वे हरेली की रात को निर्वस्त्र होकर श्मशान-साधना करती हैं। मंत्र सिद्ध करते समय उनके मुंह में एक प्रकार की जड़ी होती है जिसके कारण उनके मुंह से टपकने वाली लार अग्नि के समान प्रज्वलित होते जाती है।
Hareli Tihar 2024: बैगा खार (खेतों) के नियत स्थानों पर देवी-देवताओं की पूजा करके गाँव की सीमा में एक स्थान पर विशेष पूजा करता है, जिसे गांव बांधना कहते हैं। इस दिन गांव के सभी लोग किसी दुसरे गांव भी नहीं जाते। गाँव बांधने की तांत्रिक पूजा में लाल, काले, सफ़ेद छोटे छोटे झंडे, नींबु, काली हंडी, बांस की टोकनी (चरिहा) खुमरी (बांस की बनी टोपी) नारियल होम-धूप, लकड़ी की बैलगाड़ी का प्रतीक, दारु, मुर्गी इत्यादि का प्रयोग होता है। इस पूजा में बैगा सभी देवी-देवताओं का आह्वान करके उनसे गांव की रक्षा का निवेदन करता है कि गांव में धूकी (हैजा-कालरा) भूत-प्रेत, टोना-टोटका एवं अन्य दैविय प्रकोप न हो। इसके बाद एक मुर्गी को जिंदा छोड़ा जाता है और फ़िर उस पूजा स्थल को दुबारा पीछे मुड़ के नहीं देखा जाता।
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बीमारियों को दैविय प्रकोप से जोड़ कर देखा जाता है। गांव बांधने बाद सभी लोग घर नहीं जाते, गाँव के बाहर स्थित स्कूल, मंदिर या ग्राम पंचायत भवन में रात गुजार देते हैं। मान्यता है कि इनके साथ कहीं भूत-प्रेत गांव में प्रवेश न कर जाए। फ़ोड़े गए नारियलों का प्रसाद ये ही लोग खाते है, घर लेकर नहीं जाते। आपको इस दिन किन- किन चीजों से बचना चाहिए जिससे आप नकारात्मक चीजों के प्रभाव से बच सकते हैं। आइये जानते है 5 बातें जिन्हें हरेली के दिन ध्यान में आपको रखना होगा ।