scriptCancer Awareness Day: गुड़ाखू की लत बनी जानलेवा, 15-16 साल के किशोरों में बढ़ रहा ओरल कैंसर | Gudaku addiction becomes fatal, oral cancer increasing among 15-16 year old teenagers | Patrika News
रायपुर

Cancer Awareness Day: गुड़ाखू की लत बनी जानलेवा, 15-16 साल के किशोरों में बढ़ रहा ओरल कैंसर

Cancer Awareness Day:आंबेडकर अस्पताल में जरूरी जांच कराने पर मुंह का कैंसर निकला। डॉक्टर भी केस से हतप्रभ रह गए। जब हिस्ट्री पूछी गई तो पता चला कि परिवार के कई सदस्य गुड़ाखू का इस्तेमाल करते हैं।

रायपुरNov 07, 2024 / 11:37 am

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Cancer Awareness Day: 15-16 साल के किशोरों में गुड़ाखू की ऐसी लत लग रही है कि उन्हें जानलेवा कैंसर की गिरफ्त में ले रहा है। गुड़ाखू के कारण उनमें ओरल कैंसर यानी आहार नली के ऊपरी भाग यानी ओरोपैरिंग्स, गले व जीभ के पिछले हिस्से में कैंसर हो रहा है। ये कैंसर विशेषज्ञों के लिए भी चौंकाने वाला है। दरअसल पहले ये बीमारी 35 से 40 वर्ष या इससे अधिक उम्र के लोगों को हो रही थी। किशोरावस्था में ये बीमारी होने से डॉक्टर भी भौंचक है। आंबेडकर अस्पताल व निजी अस्पतालों में ऐसे केस पहुंच रहे हैं।
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ऐसे मरीजों को कीमोथैरेपी दी जा रही है। कुछ मामलों में रेडिएशन की जरूरत भी पड़ रही है। 7 नवंबर (गुरुवार) को नेशनल कैंसर अवेयरनेस डे है। इस माैके पर पत्रिका ने कैंसर विशेषज्ञों से बात की तो चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। राजधानी के स्लम एरिया में रहने वाले 15 साल के रवि (बदला हुआ नाम) के माता-पिता गुड़ाखू व तंबाकू का इस्तेमाल करते हैं। देखा-देखी वह भी गुड़ाखू घिसने लगा। सालभर पहले उन्हें मुंह से खाना निगलने में परेशानी होने लगी।
आंबेडकर अस्पताल में जरूरी जांच कराने पर मुंह का कैंसर निकला। डॉक्टर भी केस से हतप्रभ रह गए। जब हिस्ट्री पूछी गई तो पता चला कि परिवार के कई सदस्य गुड़ाखू का इस्तेमाल करते हैं। आंबेडकर में कुल मरीजों में करीब 10 फीसदी किशाेर होते हैं, जिन्हें गुड़ाखू या तंबाकूयुक्त चीजों की लत है। डॉक्टरों के अनुसार ऐसे ज्यादातर मरीज स्लम एरिया व कुछ ग्रामीण इलाकों के हैं। प्रदेश के ग्रामीण व स्लम एरिया में कम उम्र में ही तंबाकूयुक्त गुड़ाखू घिसने की लत कोई नई बात नहीं है। इसके कारण बच्चे असमय ही काल के गाल में भी समा रहे हैं।

दिन में 10 से 12 बार गुड़ाखू करने की आदत जानलेवा

कम उम्र में कैंसर होने की जब हिस्ट्री निकाली गई तो पता चला कि ये किशोर दिन में एक बार नहीं, बल्कि 10 से 12 बार गुड़ाखू कर रहे हैं। किशोरों को ये आदत 5 से 6 साल की उम्र से लग जाती है। यानी ये 15-17 की उम्र तक पहुंचते पहुंचते कैंसर की गिरफ्त में आ जाते हैं। डॉक्टरों के अनुसार दिन में एक बार गुड़ाखू करना खतरनाक है। ऐसे में 10-12 बार की लत से कैंसर होना लाजिमी है। समाज को कैंसर से बचाना है तो गुड़ाखू व तंबाकूयुक्त चीजों से दूर रहने की जरूरत है।

जीवनशैली में बदलाव भी कैंसर का कारण, रहें अलर्ट

कैंसर के लिए न केवल तंबाकूयुक्त चीजों का सेवन ही जिम्मेदार है, बल्कि जीवनशैली में बदलाव, पेस्टीसाइडयुक्त फल या सब्जियों को भी कारण माना जा रहा है। राजधानी में कैंसर के इलाज के लिए कई एडवांस तकनीक से लेकर मशीनें उपलब्ध है। कैंसर का इलाज काफी महंगा भी है, लेकिन आंबेडकर व एम्स समेत निजी अस्पतालों में आयुष्मान भारत योजना के पैकेज में काफी इलाज हो रहा है। डॉक्टरों के अनुसार एडवांस लिनियर एक्सीलरेटर से लेकर इम्यूनोथैरेपी, टारगेट थैरेपी व रोबोटिक सर्जरी से भी कैंसर के मरीजों का एडवांस इलाज हो रहा है।
डीन व सीनियर कैंसर विशेषज्ञ डॉ. विवेक चौधरी ने कहा माता-पिता या परिवार के सदस्यों की देखा सीखी किशोरों में गुड़ाखू या तंबाकू की लत लग रही है। खासकर स्लम व ग्रामीण इलाकों में इसके इस्तेमाल से किशोर कैंसर की गिरफ्त में आ रहे हैं। इतनी कम उम्र में कैंसर की लत गलत है। पैरेंट्स जब खुद तंबाकूयुक्त चीजों से दूर रहेंगे, तभी बच्चे भी इसकी लत लगाने से बचेंगे। शराब, तंबाकू का सेवन, मोटापा, शारीरिक रूप से सक्रिय न होना, संतुलित आहार का कम सेवन कैंसर के लिए जिम्मेदार है।
सीनियर ब्लड कैंसर विशेषज्ञ डॉ. विकास गोयल ने कहा लंबे समय तक शरीर में संक्रमण व रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने से कोई भी ब्लड कैंसर की गिरफ्त में आ सकता है। जरूरी है कि संतुलित जीवन जिएं और स्वस्थ रहें। अब एडवांस इलाज उपलब्ध है।

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