यह भी पढ़ें October Festivals 2024: त्योहारों की धूम… कब है दिवाली, दशहरा और करवा चौथ? यहां देखें पूरी List अध्यक्ष यादव ने बताया कि इस बार का आयोजन पिछले 16 वर्षों की भांति विशेष और आकर्षक होगा, जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में दर्शकों के पहुंचने की उम्मीद है। इस बार रावण का पुतला 45 फीट ऊंचा होगा, जबकि कुंभकर्ण और मेघनाथ के पुतले 30 फीट के होंगे। रावण दहन से पहले शाम 5 बजे से ग्राम सोनपैरी की पुष्पांजलि मानस मंडली द्वारा रामलीला का मंचन किया जाएगा।
रावण दहन के बाद कोलकाता के कलाकार जय तारा स्पेशल इफेक्ट्स द्वारा इलेक्ट्रॉनिक आतिशबाजी की जाएगी, जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देगी। इसके साथ ही छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध सांस्कृतिक कार्यक्रम “रंग झरोखा” का आयोजन भी किया जाएगा, जिसमें छत्तीसगढ़ी संस्कृति की झलक देखने को मिलेगी।
मिट्टी से बने रावण का दहन
छत्तीसगढ़ के छुईखदान में स्थानीय कुंभकारों द्वारा निर्मित मिट्टी के रावण का पुतला बनाया जाता है। रावण का पुतला बनाने का स्थल आज तक अपरिवर्तित है। ग्राम नवागांव मार्ग पर रावण का पुतला बनाने का कार्य दशहरा पर्व के पूर्व से ही आरंभ हो गया है। मिट्टी के पुतले का वृहद स्वरूप दशहरा के दिन ही पूर्ण कर लिया जाता है तथा पुतले के संहार तक उसकी सुरक्षा की जाती है। यह परंपरा ढाई सौ वर्षों से चली आ रही है। रावण दहन के पहले मंत्रोच्चार के साथ भगवान राम की पूजा अर्चना के बाद रियासत के राजा प्रमुख द्वारा मिट्टी से बने विशालकाय रावण के पुतले का शिरोछेदन किया जाता है। शास्त्र के अनुसार भगवान श्रीराम ने रावण को जलाया नहीं था बल्कि उसके नाभि में स्थित अमृत कुंभ को निशाना बनाकर रावण वध किया था। उसी शास्त्रोक्त परंपरा के अनुसार छुईखदान रियासत के प्रमुख भगवान श्रीराम के प्रतिनिधि के रुप में मिट्टी के रावण का शिरो छेदन करते हैं और रावण की मिट्टी अपनी तलवार की नोंक से निकालकर उसे अमृत मान कर अपने पास सुरक्षित रख लेते हैं।