इन भाषाओं की पांडुलिपी तैयार करने का निर्देश संचालक ने इस कार्य के लिए कक्षा 1 से कक्षा 5 तक सर्वप्रथम छत्तीसगढ़ी भाषा (रायपुर एवं बिलासपुर संभाग), सरगुजिहा, हल्बी, गोड़ी, सादरी, कुडुख स्थानीय भाषाओं पांडुलिपि तैयार करने के लिए कहा है। यह पांडुलिपि 15 सितम्बर तक अधीनस्थों को तैयार करके संचालक को देनी है।
पूर्व में ट्रांसलेट करके पढ़ाते थे एससीईआरटी के अधिकारियों ने बताया, पूर्व में कक्षा पहली और दूसरी के छात्रों को मातृभाषा सिखाने के लिए सपोर्टिव मटेरियल से पढ़ाते थे। कक्षा तीसरी से पांचवी तक हिंदी के पाठ्यपुस्तक में 25 प्रतिशत स्थानीय भाषा विषयवस्तु का समावेश करके छात्रों को शिक्षित किया जाता था। पहली और दूसरी में हिंदी की पढ़ाई को बच्चों की मातृभाषा से जोड़ने के लिए हिंदी के शब्दों का 6 क्षेत्रीय भाषा में पर्यायवाची शब्द दिए गए हैं। प्रदेश के 19 जिलों में 12 बहुभाषाओं पर बहुभाषा शिक्षण का काम विभाग द्वारा किया जा रहा है।