बता दें कि 1993 में भिलाई इस्पात संयंत्र में 80 हजार कर्मचारी हुआ करते थे। उस वक्त सिर्फ यूनियन इंटक की कर्मचारियों पर जबरदस्त पकड़ थी। इस यूनियन के अध्यक्ष रवि आर्य थे। विधायक होने के बाद भी कांग्रेस पार्टी ने रवि आर्य को टिकट नहीं दिया। इससे नाराज आर्य ने (CG Election 2023) अपने ही यूनियन के नेता गजेन्द्र सिंह, केवल चद्रांकर और श्याम लाल साहू से नामाकंन दाखिल करवाया। इसके बीच ही वे यात्रा पर चले गए और इस दौरान ही नामांकन वापसी की तिथि भी निकल गई।
दस हजार में मिले थे 25000 वोट CG Election 2023: यात्रा संपन्न के बाद लौटे रवि आर्य ने अपने नेता गजेंद्र सिंह से कहा कि मैदान में डटे रहना हैं। इस पर गजेंद्र ने बताया कि उस समय उन्हें राजनीति का ABCD नहीं आता था फिर भी वे मैदान में डेट रहे। जिसके बाद प्रचार-प्रसार का (Story of Chhattisgarh Election 1993) सिलसिला चालू हुआ। फिर क्या था दस हजार खर्च किए और लगातार जनसंपर्क किया। इसके असर से ही उन्हें 25000 वोट मिल गए।
चुनाव प्रचार में मिला साथियों का सहयोग CG Election 2023: गजेंद्र बताते हैं कि चुनाव प्रचार के लिए उन्होंने बाकियों पार्टियों की तरह घर-घर जाकर पर्चे नहीं बाटें हैं। वे कार्यकर्तों के साथ कही भी चुनाव प्रचार करने चले जाते थे। यहां तक कि यूनियन के साथियों ने पर्चे छपवाए व बांटने में मेरी सहायता भी की। मोटर साइकिल पर सवार होकर दिन भर पूरे टाउनशिप खुर्सीपार, कैंप, मरोदाऔर रिसाली में (Story of Chhattisgarh Election 1993) प्रचार प्रसार किया करते थे। जिसके बाद भी हमें इतने वोट मिले थे।