प्रदेशभर में 496 प्रकरण दर्ज
राज्य के विभिन्न थानों में 2012 से 2019 के बीच करीब 216 कंपनियों के खिलाफ 20 हजार प्रकरण दर्ज किए गए हैं। इसमें कंपनी के संचालक, बोर्ड ऑफ डायरेक्टर के साथ करीब 379 संचालकों को आरोपी बनाया गया है।
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निवेशकों को 30 फीसदी रकम मिलेगी
राजनांदगांव जिले में लोग 37 चिटफंड कंपनियों से ठगी का शिकार हुए हैं। अब निवेशकों को कुल निवेश की 30 फीसदी रकम खाते में अंतरित की गई है। साथ ही बकाया राशि अन्य कंपनियों की संपत्तियों को राजसात करने के बाद दिया जाएगा।
यह है प्रमुख कंपनियां
प्रदेश में एसयूएसके इंडिया लिमिटेड, शाइनिंग स्टार, इंफ्रावाटर फंड, दिव्यानी प्रॉपर्टी, बीएन गोल्ड रियल एंड एलाइट लिमिटेड कंपनी के साथ अन्य कंपनियां है, इसमें से ज्यादातर चिटफंड कंपनियां दिल्ली, पंजाब, मध्यप्रदेश, राजस्थान सहित दूसरे प्रदेशों की थी। इनके संचालकों ने लोगों से रकम निवेश कराने स्थानीय बेरोजगार युवकों को मोटी रकम कमीशन में देने का झांसा देकर एजेंट बनाया। साथ ही कई जगहों पर कथित तौर पर ज्यादा बिजनेस देने पर उन्हें मैनेजर तथा ब्रांच मैनेजर तक नियुक्त किया।
ऐसे हुई प्रॉपर्टी की कुर्की
राजनांदगांव जिले में 37 कंपनियों को चिन्हांकित करने के बाद उनकी चल-अचल संपतियों को कुर्की करने की कार्रवाई की गई। इसे चिटफंड कंपनियों के विरुद्ध छत्तीसगढ़ के निक्षेपकों के हितों का संरक्षण अधिनियम की धारा 6 के तहत कुर्क की गई। इसके लिए नियमानुसार भू-स्वामी का पता करने के लिए दावा-आपत्ति और मंगवाई गई। इसकी प्रक्रिया पूरी करने के बाद प्रकरण स्थानीय न्यायालय में पेश किया गया। इसे राजसात करने के बाद राशि राज्य सरकार के खाते में रकम जमाई की गई। अब इसे लौटाने की प्रक्रिया शुरू की गई है।
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छत्तीसगढ गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा, चिटफंड कंपनियों के खिलाफ सख्ती शुरू कर दी गई है। कंपनियों की संपत्तियों को राजसात कर कुर्की की जा रही है। इससे मिलने वाली राशि को निवेशकों को वापस लौटाया जा रहा है। यह प्रक्रिया आगे भी जारी रहेगी।एजेंटों के खिलाफ दर्ज मामले हो रहे वापस
राज्य सरकार के निर्देश पर चिटफंड कंपनी के एजेटों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लिए जा रहे है। साथ ही उन्हें शासकीय गवाह बनाया जा रहा है। बता दें कि चिटफंड कंपनी संचालकों के रकम लेकर भागने के बाद निवेशकों द्वारा थाने में शिकायत दर्ज कराई गई थी। इसके बाद पुलिस ने दविश देकर कंपनी के एजेंटों को गिरफ्तार किया था। लेकिन राज्य सरकार ने 2019 में एजेटों के खिलाफ दर्ज मामलों को वापस लेने आदेश जारी किया।