भारत माता छत्तीसगढ़ी नाचा पार्टी रवेली (रनचिरई) पाटन दुर्ग के कलाकारों ने इस नाचा गम्मत के माध्यम से पैसे का घमंड करने का नतीजा बताया गया। वहीं जोकर व अन्य पात्रों ने अपने हास्य-व्यंग्य से भरपूर संवादों से दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। इस गम्मत की प्रस्तुति में भीष्म कुमार यादव व अशोक कुमार साहू-जोकर, पुनाराम निर्मलकर-जनानी, उधो देशमुख, भवेंद्र कुमार और जीतू निषाद-डांसर, संगतकारों में सनत कुमार-हारमोनियम, कोमल-पेड, खोमलाल-तबला, डोलेश्वर प्रसाद-बैंजो, जमुना प्रसाद-शहनाई, मनमोहन-गोला और नारद-नाल की सहभागिता रही।
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जीवन की वास्तविकता का अहसास यहां प्रस्तुत गम्मत के कथानक अनुसार किसान आर्थिक तंगी से जूझते हुए अपने दोनों बेटों का परवरिश कर पढ़ाता-लिखाता और संस्कारवान बनाने का कोशिश करता है। एक मास्टर तो दूसरा इंजीनियर बनता है। बड़ा बेटा संस्कारवान सीधा-साधा व्यवहारशील और छोटा बेटा घमंडी है। वह एक महिला के साथ प्रेम करने लगता है। कुछ दिनों बाद उनका बड़ा भाई मिलने आता है। पैसे के घमंड में छोटा भाई अपने बड़े भाई का परिचय अपने घर के दरोगा के रूप में देता है और अपमानित करता है। लेकिन वह बड़ा भाई यह बात किसी से नहीं कहता। इसी तरह एक दिन पिताजी उनसे मिलने आते हैं तो घमंड में चूर इंजीनियर अपने पिता को घर का नौकर बता कर अपमानित करता है। कुछ दिन बाद उसकी प्रेमिका से अनबन हो जाती है। इस बीच इंजीनियर की नौकरी भी चले जाती है। तब उसे जीवन की वास्तविकता का पता चलता है और अपने पिता व भाई से क्षमा याचना कर घर लौटता है।