संन्यासीपारा की घटना, आवारा मवेशियों से लोग दहशत में एक ओर रोका छेका अभियान के नाम पर लाखों रुपए फूंका जा रहा है, दूसरी ओर शहर की अधिकांश कॉलोनियों-मोहल्लों में घुमंतू गाय-बैलों का जमावड़ा है। इनमें से कुछ सांड हिंसक होकर लोगों की जान ले रहे हैं।
बारिश में ज्यादा दिक्कत शहर में छोटे मोहल्ले हों या पॉश कॉलोनी, घुमंतू मवेशी मंडराते नजर आते हैं। कुछ दिन पहले डीडी नगर इलाके में भी एक सांड ने घर के बाहर खड़ी कारों को नुकसान (Raipur News) पहुंचाया था। इन मवेशियों की धरपकड़ करने में नगर निगम फेल है।
घर से निकलते ही सांड ने दौड़ाया वीर शिवाजी वार्ड क्रमांक-16 संन्यासीपारा निवासी चंद्रमा बेहरा (73) रविवार की शाम करीब 4.30 बजे अपने घर से पड़ोस में जाने के लिए निकली थी। इस दौरान गली में घूम रहे एक सांड ने उन पर हमला कर दिया। इससे उनके सिर और पीठ में चोट आई थी। गंभीर अवस्था में उन्हें डीकेएस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालात में सुधार नहीं हुआ। बुधवार को उनकी मौत हो गई। शहर की यह पहली घटना है, जिसमें मवेशी के हमले से किसी की मौत हुई है। पार्षद गज्जू साहू का कहना है कि दो दिन पहले बुजुर्ग महिला पर सांड ने हमला किया था। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। दो दिन बाद उनकी मौत हो गई है।
कई बार शिकायत, कोई गंभीर नहीं पार्षद साहू का कहना है कि वार्ड के कई मोहल्लों में घुमंतू मवेशी मंडराते रहते हैं। कई बार नगर निगम में इसकी शिकायत की है। इन मवेशियों को गोठानों में ले जाने की मांग की है, लेकिन अधिकारी ध्यान नहीं देते हैं। इसी के चलते इतनी बड़ी घटना हो गई है। एक बुजुर्ग को अपनी जान गंवानी पड़ी है।
कलेक्टर-कमिश्नर ने ली बैठक राजधानी में सांड के हमले से बुजुर्ग महिला की मौत ने घुमंतू मवेशियों को लेकर प्रशासन की व्यवस्था की पोल खोल दी है। महिला की मौत के बाद प्रशासन की नींद खुली और बुधवार को कलेक्टर व नगर निगम कमिश्नर ने अधिकारियों की बैठक ली। बैठक में निगम कमिश्नर मयंक चतुर्वेदी ने घुमंतू मवेशियों के मालिकों पर सख्ती कर दो गुना जुर्माना वसूलने के निर्देश दिए। इसके अलावा खराब सड़कों के मरम्मत और जलभराव से निपटने ठोस व्यवस्था करने कहा। बैठक में कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर नरेन्द्र भुरे ने सड़कों का समय पर निर्माण व मरम्मत कराने के लिए पीडब्ल्यूडी के अफसरों को चेताने के साथ ही बिजली कंपनी के इंजीनियरों को निर्माण के दायरे में आने वाले बिजली पोल शिफ्टिंग में तेजी लाने की हिदायत दी।
इसके साथ ही शहर में जलभराव को लेकर भी चर्चा हुई। स्मार्ट सिटी के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी शहर में जलभराव की स्थिति दस साल पहले जैसी थी, वैसी ही बनी हुई है। इसकी बड़ी वजह पानी निकासी का सिस्टम सही नहीं होना है। नाले-नालियां कहीं चौड़ा तो कहीं संकरा है। ये ओवरफ्लो और सफाई नहीं होने से जाम हो रहे हैं। निगम के सभी जोनों में एक जैसी स्थिति है।
सड़कों पर मवेशियों का झुंड बड़ी चुनौती सड़कों पर मवेशियों का झुंड निगम प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। यह देखा जा रहा है कि लोग दूध दुह कर गाय, बछड़ों, बछिया को छोड़ देते हैं। इसके साथ ही लगातार आवारा मवेशियों से सड़कें जाम हो रही हैं। इसके बावजूद भी निगम का काऊ कैचर गायब नजर आता है।
50 हजार मकानों से टैक्स नहीं मिल रहा निगम को: जीई सर्वे से बाहर 50 हजार मकानों से निगम को प्रापटी टैक्स नहीं मिल रहा है। क्योंकि लोग शहर के आउटर क्षेत्र में निर्माण तो करा रहे हैं, लेकिन टैक्स जमा नहीं हो रहा है। इसी तरह हर जोन में 100 से ज्यादा बड़े बकाएदार हैं, उनसे भी निगम नहीं वसूल पा रहा है। ऐसे लोगों को नोटिस जारी वसूली में तेजी लाने के निर्देश दिए।
कलेक्टर बोले- सड़कों के गड्ढों का पेंच वर्क कराएं कलेक्टर ने कहा कि जिले में जिन सड़कों की स्वीकृति मिल गई है, उसका निर्माण समय पर खराब गड्ढे वाली सड़कों का पेंचवर्क कराकर सुधार करें। मोवा-सड्डू रोड का चौड़ीकरण हो रहा है। इसमें बिजली पोल की शिफ्टिंग आज तक नहीं हुई। बिजली अफसरों को निर्देशित किया।