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रायपुर

मीना खलखो की मुठभेड़ फर्जी, 25 पर हत्या का केस

अनिता झा आयोग की रिपोर्ट के बाद बलरामपुर जिले के चांदो थाना के तत्कालीन
प्रभारी सहित 25 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है।

रायपुरApr 15, 2015 / 09:29 am

चंदू निर्मलकर

raipur meena khalkho encounter

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रायपुर. मीना खलखो पुलिस मुठभेड़ की जांच के लिए गठित अनिता झा आयोग की रिपोर्ट के बाद बलरामपुर जिले के चांदो थाना के तत्कालीन प्रभारी सहित 25 पुलिसकर्मियों के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया गया है। इससे स्पष्ट हो रहा है कि 4 साल पहले हुई यह मुठभेड़ फर्जी थी और भेड़-बकरी चराने वाली 17 वर्षीय आदिवासी किशोरी मीना को माओवादी बताकर पुलिस ने मार गिराया था।

आयोग की रिपोर्ट के आधार पर सीआईडी ने यह मामला दर्ज किया। इसकी पुष्टि डीजीपी एएन उपाध्याय ने की। उन्होंने बताया, सीआईडी दर्ज की गई रिपोर्ट के आधार पर अपनी कार्रवाई आगे बढ़ाएगी। गौरतलब है कि इसी महीने 7 अप्रैल को राज्य मंत्रिपरिषद ने भी मीना खलखो की मौत की जांच का जिम्मा सीआईडी को सौंपने का फैसला किया था। सीआईडी को मीना के मरने की परिस्थितियों और उसके लिए जिम्मेदार लोगों का पता लगाने का जिम्मा भी दिया गया है।

पहले बताया था माओवादी


६ जुलाई-२०११ को जब बलरामपुर के लोंगरटोला में घटना हुई थी, तब पुलिस ने यह दावा किया था कि झारखंड से आए माओवादियों के साथ दो घंटे तक चली मुठभेड़ के दौरान मीना खलखो भी गोलियां चला रही थी, लेकिन पुलिस ने उसे मार गिराया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में सामने आया कि मीना को बेहद नजदीक से गोली मारी गई थी। यही नहीं उसके साथ दुष्कर्म भी किया गया था। मुठभेड़ स्थल लोंगराटोला और मीना के गांव करंचा के ग्रामीणों का कहना था कि उस रात उन्होंने केवल तीन गोलियों की आवाज सुनी थी। मीना के परिजनों, राजनीतिक दलों और गैर सरकारी संगठनों ने आरोप लगाया था कि पुलिसकर्मियों ने मीना का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया और बाद में उसे मौत के घाट उतार दिया। पहले इस मामले की जांच सीआईडी को ही सौंपी गई थी, तब कथित मुठभेड़ में शामिल पुलिसकर्मियों के डीएनए टेस्ट की मांग भी उठी थी। सीआईडी इसके लिए तैयार भी हो गई थी, लेकिन न्यायिक आयोग के गठन के बाद सीआईडी ने यह कहते हुए अपने हाथ पीछे खींच लिए थे कि अब जो करेगा आयोग करेगा।

इन पुलिस वालों पर आरोप

आरोपियों में चांदो थाने के तत्कालीन प्रभारी उपनिरीक्षक एन खेस, प्रधान आरक्षक ललित भगत, महेश राम, विजेंद्र पैकरा, इंद्रजीत पैकरा, पंचराम ध्रुव, श्रवणकुमार, भदेश्वर राम, मोहर कुजुर, संजय टोप्पो, मनोज कुमार सहित उनके साथ रहे छत्तीसगढ़ सशस्त्र पुलिस की १२वीं और १४वीं बटॉलियन के सिपाही शामिल हैं। शुरुआती जांच के बाद राज्य सरकार ने आरोपी पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया था। बाद में उन्हें फिर से थानों में बहाल कर दिया गया।

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