बताया जाता है कि विवेचना अधूरी रहने की वजह से ५० से अधिक बड़े मामले लंबित है। दस्तावेजी साक्ष्य के अभाव में अब तक उसे राज्य सरकार के पास अभियोजन स्वीकृति के लिए भी नहीं भेजा गया है। इसे देखते हुए मुख्यालय ने पूरी रिपोर्ट मांगी है।
फाइल बंद नान घोटाले में आईएएस अफसर आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा को मुख्य आरोपी बनाया गया था। उनके खिलाफ आरोप पत्र पेश करने के लिए केंद्र सरकार से अनुमति मांगी गई थी। केंद्रीय कार्मिक विभाग ने जुलाई २०१६ में अभियोजन स्वीकृति की अनुमति दी] लेकिन आज तक उनके खिलाफ कोई कार्रवाई तक नहीं की गई है। गौरतलब है कि फरवरी २०१५ में ईओडब्लू और एसीबी ने २२ ठिकानों पर दबिश देकर नान घोटाला उजागर किया था। इस मामले में १२ आरोपियों को कोर्ट में पेश करने के बाद जेल भेजा गया था। तलाशी में उनके ठिकानों से पौने ३ करोड़ रुपए नकद राशि भी बरामद की गई थी। हालांकि यह कार्रवाई दीपावली बाद या इस माह के बाद यानी नवंबर के बाद की जा सकती है। इससे पहले भी कई अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जा चुकी है।
Read more: बिजली बिल चाहिए तो पेड़ से ले जाइएं..! यह है मामला नागरिक आपूर्ति निगम के घोटाले में शामिल तीन आरोपियों की फरारी को देखते हुए अन्य मामलों को जांच एजेंसी ने खंगालना शुरू कर दिया है। उनके लंबित मामलों को मंगवाया गया है। इसमें रिश्वत और आय से अधिक संपति के मामले में फंसे अफसरों के नाम शामिल है। बताया जाता है कि इसकी जांच कर अदालत में चालान पेश करने की तैयारी भी की जा रही है।