ओटेक्स में यथिन की भूमिका इनोवेटिव सॉफ्टवेयर सॉल्यूशन पर काम करना और कंपनी के गोल्स हासिल में योगदान देना है। खास बात ये कि यथिन ने जेईई एडवांस्ड भी दिया था लेकिन क्लियर नहीं कर पाए थे। उस समय वे थोड़े निराश जरूर हुए लेकिन एडवांस्ड की पढ़ाई बहुत काम आई। हैदराबाद के रहने वाले यथिन के पापा एक ब्रोकिंग कम्पनी में एमडी हैं और मम्मी सुजाता होम मेकर हैंं। यथिन के इस अचीवमेंट ने पत्रिका ने खास बातचीत की।
इंजीनियरिंग के प्रति रुझान कब जागा?
- दसवीं तक मैं आईटी की बेसिक चीजों को समझ गया था। उसी दौरान कम्प्यूटर साइंस के प्रति एक तरह का जुनून जागा। बेसिक के बाद मैं एडवांस कॉन्सेप्ट की ओर चल पड़ा। यह शुरुआती अनुभव मुझे इंजीनियरिंग में आगे बढऩे के लिए काफी था, यहीं से लगा कि नए प्रोडक्ट को डेवलप और टेक्नोलॉजी इंडस्ट्री में कुछ नया किया जाए।
आईआईटी के लिए कोशिश की थी?
जेईई मेन्स में 98.5 परसेंटाइल स्कोर करने के बाद, मैंने आईआईटी के लिए जेईई एडवांस दिया, क्लियर नहीं कर पाया। लेकिन एडवांस की तैयारी का मुझे भरपूर फायदा मिला। मैंने आईआईटियन की तरह कंप्यूटर साइंस में अपना नॉलेज बढ़ाने का फैसला किया।
आपका आइडियल कौन है?
वैसे मेरा कोई खास आइडियल नहीं है, लेकिन मैं अलग-अलग फील्ड के टॉप लीडर्स और सीईओ की बेस्ट क्वालिटीज को चुनने और उन्हें अपनी लाइफ में शामिल करने का प्रयास करता हूं। मिसाल के तौर पर पापा की उदाहरण के लिए, मैं अपने पिता की स्टै्रटेजिक थीकिंग और मॉम की टाइम मैनेजमेंट स्किल से प्रभावित हूं। उनसे सीखकर मैं लगातार विभिन्न पहलुओं में खुद को बेहतर बनाने का प्रयास करता हूं।
जूनियर्स को क्या टिप्स देंगे?
जूनियर्स के लिए मेरा सुझाव है कि वे किसी विशेष क्षेत्र में अपने पैशन को फॉलो करें, बजाय इसके कि उनके दोस्त क्या कर रहे हैं। कई ऑप्शंस का पता लगाना और फिर उस चीज के लिए कमिटेड होना महत्वपूर्ण है जिसमें आपकी वास्तव में रुचि है। जो चीज आपको पसंद नहीं है उसे अपनाने से आपके काम में कभी भी खुशी या सेटिस्फेक्शन नहीं आएगा। मैंने कई कॅरियर ऑप्शंस और टेक्नोलॉजीस का पता लगाने के लिए आईआईआईटी नया रायपुर में प्रोफेसरों के साथ-साथ पैरेंट्स और दोस्तों से सलाह मांगी। इससे मुझे अपने कॅरियर के रास्ते में बेहतर फैसले लेने में आसानी हुई।