वन विभाग उद्घोषणा कर ग्रामीणों को सचेत कर रहा है। सभी गांव वालों को जंगल या हाथियों के पास न जाने की चेतावनी दी जा रही है।
रायपुर•May 10, 2022 / 09:55 pm•
CG Desk
हाथियों के उत्पात से ग्रामीण परेशान, जंगल से निकलकर आबादी क्षेत्रों में दे रहे धमक
रायपुर | शुक्रवार 6 मई की सुबह को बहरानार के खेतों में सात हाथियों के दल घुस आया। इससे गांव के लोगों में दहशत का माहौल छा गया। सूचना मिलते ही बेलगहना चौकी के वन अमले (फॉरेस्ट स्टाफ) और पुलिसकर्मी मौके पर पहुंचे। हालांकि मौत का कोई मामला सामने नहीं आया है, फॉरेस्ट स्टाफ ने कोटवार के सहारे उद्घोषणा जारी की है ताकि ग्रामीण सतर्क रहें और गांव बाहर या जंगल की ओर न जाएं।
सब्जी और धान की फसल को रौंदा
सात हाथियों के इस समूह को पहली बार गुरुवार 5 मई को देखा गया था। जब हाथियों ने एक खेत में घुसकर सब्जी और धान की फसल रौंद दीया तो खेत के मालिक ने तुरंत वन विभाग को फोन किया और फसल की स्थिति के बारे में बताया। जिसके बाद वन अमला मौके पर पहुंच गया। क्योंकि वन कर्मियों को हाथियों का पीछा करने या उनके पास जाने की अनुमति नहीं है फिलहाल वे दूर से ही निगरानी रख रहे हैं। ऐसे मामलों में वन विभाग ग्रामीणों की संपत्ति के किसी भी नुकसान के लिए मुआवजा प्रदान करता है। उनका मुख्य फोकस जनहानि को रोकने पर है।
पानी की तलाश में पहुंचे थे हाथी
ये हाथी अचानकमार टाइगर रिजर्व की ओर से भटकते हुए आए थे। जानकारी के अनुसार हाथियों का यह दल पानी की तलाश करते हुए इनसानों की बस्ती की में घुस आया था।
छत्तीसगढ़ मानव-हाथी संघर्ष से सबसे ज़्यादा पिड़ित राज्यों में से एक
छत्तीसगढ़ में मानव-हाथी संघर्ष से मृत लोगों की संख्या पहले ही बहुत है और लगातार बढ़ती जा रही है। इस परेशानी से अंबिकापुर और आरंग जिले बुरी तरह प्रभावित हैं। एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार इस संघर्ष के कारण राज्य में हर साल कम से कम 65 लोग और 14 हाथी मारे जाते हैं।
हाथी इंसानों की बस्ती में घुस आने पर मजबूर हैं
पानी की कमी, माइनिंग और गायब होते जंगलों के कारण हाथी इंसानों की बस्ती में घुस आते हैं। वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि जंगल के बड़े हिस्से की रक्षा करने से हाथियों के संरक्षण में मदद मिलेगी और मानव-हाथी संघर्ष की घटनाएं भी कम हो जाएंगी।
इस समस्या से निपटने के लिए रचनात्मक तरीके लेकर आ रहा वन विभाग
राज्य में “हाथी मित्रदल” समूह मानव-हाथी संघर्ष की घटनाओं को कम करने के लिए काम कर रहे हैं। हाथी मित्रदल गश्ती समूह, व्हाट्सएप समूह, रेडियो घोषणाएं, सेटेलाइट कॉलर और लाउडस्पीकर का उपयोग कर लोगों को हाथियों के लोकेशन की जानकारी देते है। इसके अलावा पेड़ों पर मचान बनाकर और ड्रोन से भी वन विभाग हाथियों की निगरानी कर रहे हैं।
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