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आरडीए ने अपने बजट में इसके लिए 12 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था। तत्कालीन चेयरमैन संजय श्रीवास्तव ने यह प्लान बनवाया था। प्लान था कि बोरिया रिक्रिएशन पार्क में देशी-विदेशी झूले, गार्डन, वाटर स्पोर्ट्स तथा कैफेटेरिया के साथ एक रिसॉर्ट भी बनाया जाएगा। रिक्रिएशन पार्क का काम पीपीपी मोड पर दिए जाने की प्लानिंग थी। इसके लिए आरएफपी (रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल) भी बन चुका था। सरकार बदलते ही उक्त भूमि को एक ही कंपनी को तकरीबन 42 करोड़ में बेच दिया गया। उक्त 75 एकड़ जमीन आमोद-प्रमोद में दर्ज है। उक्त भूमि को सीजी कृपा प्राइवेट लिमिटेड द्वारा आशीष गोयल को बेची गई है। 75 एकड़ की यह जमीन कमल विहार के सेक्टर-3 में बोरिया तालाब के इर्द-गिर्द है। उक्त भूमि को कमर्शियल करने का प्रस्ताव भेजा था। भूमि उपयोग चेंज करने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन शासन से आदेश नहीं मिला। इसके बाद उक्त भूमि को आमोद-प्रमोद के नाम पर ही बेच दिया गया। बता दें कि उक्त भूमि को तकरीबन 500 रुपए वर्ग फीट में बेचा गया है। जबकि, आरडीए खुद व्यावसायिक भूमि को 3300 रुपए प्रति वर्गफीट के दर पर बेच रहा है। ऐसे में उक्त भूमि की बिक्री से आरडीए को करोड़ों का नुकसान हुआ है।
मामले में रायपुर पश्चिम विधायक राजेश मूणत ने विधानसभा में इस मुद्दे को लेकर प्रश्न भी लगाया था, आरडीए ने एम्युजमेंट पार्क के लिए कितनी भूमि सुरक्षित की थी। उक्त भूमि का बिना लैंडयूज बदले बेचा गया है या नहीं, अब इस प्रश्न को शब्दों के खेल से आरडीए के अधिकारियों ने जवाब दिया कि एम्युजमेंट पार्क के नाम भूमि आरक्षित नहीं है। जबकि उक्त भूमि आमोद-प्रमोद के नाम दर्ज है। आमोद-प्रमोद भूमि उपयोग का अर्थ ही मनोरंजन और पार्क जैसी एक्टिविटी के लिए तय होता है। आरडीए के अधिकारियों ने इस भूमि के लिए बड़ा खेल खेला है।
मामले से जुड़ी फाइल मंगवाई गई है। इसमें किसी तरह की यदि गड़बड़ी मिलेगी, तो संबंधित अधिकारियों पर कार्रवाई की जाएगी। -प्रतीक जैन, सीईओ, आरडीए बोरिया तालाब से लगी हुई 75 एकड़ जमीन को एक कंपनी को आमोद-प्रमोद के नाम से बेचा गया है। बेचने के बाद लैंडयूज बदलने का षड्यंत्र रचा गया था। सरकार बदलने से जिम्मेदारों की प्लानिंग ठप हो गई। इसकी जानकारी हमने विभागीय मंत्री को भी दे दी है। -राजेश मूणत, विधायक, रायपुर पश्चिम