लाइसेंस बनाते समय वाहन सॉफ्टवेयर की साइट को खोलकर देख लेंगे। जांच रिपोर्ट में फिट होने वाले का ही ड्राइविंग लाइसेंस बनेगा। अनफिट होने वाले की प्रक्रिया को रद्द कर दिया जाएगा। बता दें कि डीएल के लिए ऑनलाइन मेडिकल प्रमाण पत्र लेना अनिवार्य कर दिया है। इसके चलते एजेंट जमकर वसूली कर रहे है। अपने करीबी डॉक्टर के जरिए मेडिकल प्रमाणपत्र बनवाकर भी दिया जा रहा था। इसकी शिकायत मिलने के बाद परिवहन विभाग ने पारदर्शिता बरतने और पेपरलेस काम की दिशा में आगे बढऩे के लिए नया कदम उठाया गया है।
इस तरह होगी प्रक्रिया
ड्राइविंग लाइसेंस के आवेदक को फार्म भरने के बाद परिवहन विभाग के अधिकृत डॉक्टर पास जाना होगा और अपना आवेदन नंबर बताना होगा। डॉक्टर द्वारा इस नंबर को सारथी पोर्टल में डालते ही आवेदक के मोबाइल में ओटीपी आ जाएगा। यदि आवेदक द्वारा सहमति से ओटीपी डॉक्टर को बताया जाता है तो संपूर्ण जानकारी फोटो सहित डॉक्टर को मिल जाएगी। इसका मिलान करने के बाद स्वास्थ्य संबंधी जांचकर बाद डाक्टर द्वारा ऑनलाइन मेडिकल प्रमाण पत्र जारी कर दिया जायेगा। वहीं नवीनीकरण करानेऔर चालीस से अधिक उम्र को नियमानुसार मोटर यान नियम के अनुसार निर्धारित प्रारूप में मेडिकल सर्टिफिकेट भी देना आवश्यक होता है। बता दें कि प्रदेश में प्रतिवर्ष करीब 3 लाख लर्निंग लाइसेंस बनते हैं।
अधिकृत किया गया
प्रदेश के 369 डॉक्टरों को लाइसेंस के लिए प्रमाणपत्र जारी करने के लिए अधिकृत किया गया है। उनके प्रमाणपत्र के आधार पर ही लाइसेंस जारी किया जाएगा।
– दीपांशु काबरा, अपर परिवहन आयुक्त