Doctors Resigned: नौकरी छोड़ने का दिया इस्तीफा
इनमें
मेडिसिन, पीडियाट्रिक, जनरल सर्जरी, एनीस्थीसिया, रेडियो डायग्नोसिस, ऑब्स एंड गायनी विभाग शामिल हैं। एनीस्थीसिया के असिस्टेंट प्रोफेसर, पैथोलॉजी के एसो. प्रोफेसर व पीडियाट्रिक विभाग के सीनियर रेसीडेंट ने भी नौकरी छोड़ने का इस्तीफा दिया है।
डीकेएस सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में यूरो सर्जरी के एचओडी डॉ. सुरेश सिंह व असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. राजेश अग्रवाल ने भी इस्तीफा दे दिया है। पत्रिका ने कॉलेज प्रबंधन से बात की तो पता चला कि डीन कार्यालय को ये नोटिस दिया गया है।
मेडिकल कॉलेजों में दे रहे सेवाएं
दरअसल, स्वास्थ्य विभाग के एक आदेश के बाद मेडिकल कॉलेजों में सेवाएं दे रहे डॉक्टरों पर नौकरी छोड़ने का दबाव बढ़ गया है। इसमें प्राइवेट अस्पताल वाले सरकारी डॉक्टरों को चाहे वह संविदा हो या रेगुलर, उन्हें दबाव दे रहे हैं कि उनके यहां काम करें या कॉलेज में। स्वास्थ्य विभाग ने आयुष्मान भारत योजना में रजिस्टर्ड अस्पतालों से कहा है कि उनके यहां सरकारी डॉक्टरों के काम नहीं करने का शपथ-पत्र दें। इस आदेश के बाद सरकारी सेवा में संविदा व रेगुलर नौकरी वाले डॉक्टरों का सिरदर्द बढ़ गया है।
मेडिकल कॉलेजों को खाली होने में नहीं लगेगी देर
Doctors Resigned: पत्रिका एनपीए व प्राइवेट के संबंध में लगातार समाचार प्रकाशित कर रहा है। कई डॉक्टर एनपीए लेते हुए प्रैक्टिस कर रहे हैं। वहीं, शपथ-पत्र के आदेश के बाद डॉक्टर या तो कॉलेज में नौकरी कर सकते हैं या निजी अस्पताल में। चूंकि निजी अस्पताल या मेडिकल कॉलेज में वेतन ज्यादा होता है इसलिए
डॉक्टर सरकारी नौकरी को छोड़ रहे हैं। इससे आने वाले दिनों में मेडिकल कॉलेजों की मान्यता पर खासा असर पड़ सकता है। जानकारों का कहना है कि सरकार को इस मामले में तत्काल उचित कदम उठाना चाहिए नहीं तो मेडिकल कॉलेजों को खाली होने में देर नहीं लगेगी।