यह भी पढ़ें:
CG Doctors Resignation: मेडिकल कॉलेज के 20 डॉक्टरों ने दिया सामूहिक इस्तीफा, स्वास्थ्य विभाग में मचा हड़कंप, जानिए वजह नेहरू मेडिकल कॉलेज में शुक्रवार को रायपुर व
राजनांदगांव की फैकल्टी की बैठक हुई। इसमें एनपीए छोड़ने व लेने का विकल्प हर साल देने तथा प्रेक्टिस की अनुमति घर के बजाय निजी अस्पताल में देने की मांग पर फोकस रहा। इस संबंध में जल्द ही स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल से मुलाकात की जाएगी। बताया जा रहा है कि मंत्री बाहर हैं। ऐसे में उनसे सोमवार या इसके बाद मुलाकात हो पाएगी। हर साल विकल्प देने की बात करने वालों में ऐसे कई डॉक्टर शामिल हैं, जो डीएमई की वेबसाइट में एनपीए लेने वालों की सूची में है।
पहले यह सूची सार्वजनिक नहीं थी, इसलिए आम जनता या किसी को पता ही नहीं चल पाता था कि कौन
डॉक्टर तगड़ा एनपीए भी ले रहा है और प्राइवेट प्रेक्टिस भी कर रहा है। यहां तक पत्रिका रिपोर्टर को एनपीए लेने व न लेने वाले डॉक्टरों की सूची आरटीआई में देने से इनकार कर दिया गया था। कारण गोपनीय जानकारी बताई गई। दरअसल, तब स्थापना शाखा के प्रभारी वही सीनियर डॉक्टर थे, जो एनपीए लेते हुए भी प्रेक्टिस कर रहे हैं। पत्रिका लगातार इस मामले को उठा रहा है।
28 हजार तक अलाउंस, इसलिए मोह नहीं छोड़ पा रहे फैकल्टी!
मेडिकल कॉलेजों की फैकल्टी को हर माह 22 से 28 हजार रुपए एनपीए मिल रहा है। ये अच्छी खासी राशि है। इसलिए कई फैकल्टी प्राइवेट प्रेक्टिस करते हुए भी एनपीए लेने का मोह नहीं छोड़ पा रहे हैं। एनपीए लेने वाले डॉक्टरों की सूची 4 अक्टूबर को डीएमई की वेबसाइट पर अपलोड की गई है। इसके बाद यह सूची सार्वजनिक हो चुकी है। इससे आम लोगाें को भी समझ आ रहा है कि एनपीए के नाम पर हर माह तगड़ी राशि लेने वाले डॉक्टर प्राइवेट प्रेक्टिस भी कर रह है।