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रायपुर

DJ loud sound: जानलेवा बना डीजे का धुन, ब्रेन हेमरेज व हार्ट अटैक का खतरा…

DJ loud sound: डीजे की आवाज लोगों के लिए जानलेवा बन रहा है। इसका सबसे अधिक खतरा बच्चों को है। आने वाले समय में 91 अरब से ज्यादा किशोर व युवाओं में हीयरिंग लॉस का खतरा है।

रायपुरSep 14, 2024 / 12:09 pm

Love Sonkar

DJ laud sound
DJ loud sound: बलरामपुर के 40 वर्षीय व्यक्ति के डीजे की तेज आवाज सुनने के बाद ब्रेन हेमरेज से मौत ने सभी को चौंका दिया है। इससे न केवल आम लोग बल्कि डॉक्टर भी सन्न हैं। राजधानी में न केवल विशेष मौकों पर, वरन आए दिन तेज आवाज में डीजे बजते सुना जा सकता है।
इससे न केवल हार्ट के मरीज बल्कि ब्रेन से जुड़ी बीमारियों के मरीज भी हलाकान हो रहे हैं। कान के सुनने की क्षमता प्रभावित होने वाले कई मरीज सामने आए हैं। विशेषज्ञों के अनुसार डीजे पर प्रतिबंध लगाकर इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है।
DJ loud sound: डीजे की तेज आवाज से ब्रेन हेमरेज का शिकार हो गया युवक, रिपोर्ट देखकर डॉक्टर भी हैरान

विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, ज्यादा शोर खासकर डीजे की आवाज लोगों के लिए जानलेवा बन रहा है। इसका सबसे अधिक खतरा बच्चों को है। आने वाले समय में 91 अरब से ज्यादा किशोर व युवाओं में हीयरिंग लॉस का खतरा है। तेज शोर से न केवल नींद प्रभावित होती है, वरन हार्ट के मरीजों की समस्या बढ़ सकती है। यही नहीं साइको फिजियोलॉजिकल प्रभाव भी पड़ता है।
माइग्रेन ट्रिगर हो सकता है। तेज शोर डिप्रेशन व डिमेंशिया का कारण भी बन सकता है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन की स्टडी के अनुसार तेज शोर में कार्डियो वैस्कुलर डिजीज और हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। असल में बहुत अधिक शोर से ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर तेजी से घटता या बढ़ता है। विशेषज्ञों के अनुसार अगर किसी को हार्ट संबंधी बीमारी है तो डीजे व लाउड स्पीकर से बचकर रहना चाहिए।

कान के लिए 70 डेसिबल सुरक्षित, ज्यादा से खतरा

कान के लिए 70 डेसिबल या इससे कम की ध्वनि सुरक्षित है। दो लोगों के बीच होने वाली बातचीत की ध्वनि 60 डेसिबल के आसपास होती है। 85 डेसिबल या ज़्यादा की आवाज़ सुनने की क्षमता पर असर डालता है। वहीं 120 डेसिबल की आवाज़ से असुविधा हो सकती है। 140 डेसिबल से कान में दर्द हो सकता है। 120 डेसिबल की आवाज व्यक्ति या बच्चों को बहरा कर सकता है। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) के अनुसार 24 घंटे में शोर का स्तर 70 डेसिबल से नीचे रहना चाहिए।
केस-एक
22 वर्षीय युवक एक विशेष त्योहार में रातभर डीजे की धुन में नाचता रहा। अगले दिन कम सुनने का आभास हुआ तो वह ईएनटी विशेषज्ञ के पास गया। जरूरी जांच में पता चला कि उनके कान के सुनने की क्षमता कम हो गई है। वह अब हियरिंग डिवाइस लगा रहा है।
केस-दो
65 वर्षीय एक व्यक्ति हाई बीपी का मरीज था। डीजे की धुन के बाद वह अचानक बेहोश हो गया। परिजनों को समझ नहीं आया कि क्या हो गया? डॉक्टर ने बताया कि अचानक डीजे की तेज धुन हार्ट की धड़कन अचानक तेज हो गई। गनीमत रही कि उनकी जान बच गई।

कहां कितने डेसिबल शोर की अनुमति

इलाके दिन रात
ऑद्योगिक 75 70

व्यावसायिक 65 55
रिहायशी 55 45

साइलेंस जोन 50 40
सोर्स- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड

तेज आवाज से बचें

डीकेएस न्यूरो सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. राजीव साहू ने कहा कि तेज आवाज से बीपी बढ़ सकता है। भीड़-भाड़, लड़ाई या झगड़े से भी बीपी बढ़ता है। डीकेएस में डीजे के कारण स्पेसिफिक ब्रेन हेमेरेज के केस तो नहीं आए हैं, लेकिन लोगों को तेज आवाज से बचना चाहिए।

मरीजों को काफी दिक्कतें

नेहरू मेडिकल कॉलेज के एचओडी कार्डियक सर्जरी डॉ. कृष्णकांत साहू ने कहा कि डीजे की तेज आवाज से बीपी तेजी से अप-डाउन होता है। इससे हाई ब्लड प्रेशर व हार्ट के मरीजों को काफी दिक्कत हो सकती है। कई मरीज चक्कर खाकर गिर भी सकते हैं। पीएसवीटी के केस ऐसे होते हैं।

बहरेपन का शिकार

ज्यादा शोर कान की सुनने की क्षमता को प्रभावित कर रहा है। खासकर बच्चों को तेज ध्वनि से दूर रखें। इससे वे बहरेपन का शिकार हो सकते हैं। डीजे बच्चों या किसी भी उम्र के लोगों के लिए सेफ नहीं है।\
डॉ. सुनील रामनानी, सीनियर ईनटी सर्जन

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