कान के लिए 70 डेसिबल सुरक्षित, ज्यादा से खतरा
कान के लिए 70 डेसिबल या इससे कम की ध्वनि सुरक्षित है। दो लोगों के बीच होने वाली बातचीत की ध्वनि 60 डेसिबल के आसपास होती है। 85 डेसिबल या ज़्यादा की आवाज़ सुनने की क्षमता पर असर डालता है। वहीं 120 डेसिबल की आवाज़ से असुविधा हो सकती है। 140 डेसिबल से कान में दर्द हो सकता है। 120 डेसिबल की आवाज व्यक्ति या बच्चों को बहरा कर सकता है। पर्यावरण संरक्षण एजेंसी (ईपीए) के अनुसार 24 घंटे में शोर का स्तर 70 डेसिबल से नीचे रहना चाहिए।22 वर्षीय युवक एक विशेष त्योहार में रातभर डीजे की धुन में नाचता रहा। अगले दिन कम सुनने का आभास हुआ तो वह ईएनटी विशेषज्ञ के पास गया। जरूरी जांच में पता चला कि उनके कान के सुनने की क्षमता कम हो गई है। वह अब हियरिंग डिवाइस लगा रहा है।
केस-दो
कहां कितने डेसिबल शोर की अनुमति
इलाके दिन रातऑद्योगिक 75 70 व्यावसायिक 65 55
रिहायशी 55 45 साइलेंस जोन 50 40
सोर्स- केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड
तेज आवाज से बचें
डीकेएस न्यूरो सर्जरी विभाग के एचओडी डॉ. राजीव साहू ने कहा कि तेज आवाज से बीपी बढ़ सकता है। भीड़-भाड़, लड़ाई या झगड़े से भी बीपी बढ़ता है। डीकेएस में डीजे के कारण स्पेसिफिक ब्रेन हेमेरेज के केस तो नहीं आए हैं, लेकिन लोगों को तेज आवाज से बचना चाहिए।मरीजों को काफी दिक्कतें
नेहरू मेडिकल कॉलेज के एचओडी कार्डियक सर्जरी डॉ. कृष्णकांत साहू ने कहा कि डीजे की तेज आवाज से बीपी तेजी से अप-डाउन होता है। इससे हाई ब्लड प्रेशर व हार्ट के मरीजों को काफी दिक्कत हो सकती है। कई मरीज चक्कर खाकर गिर भी सकते हैं। पीएसवीटी के केस ऐसे होते हैं।बहरेपन का शिकार
ज्यादा शोर कान की सुनने की क्षमता को प्रभावित कर रहा है। खासकर बच्चों को तेज ध्वनि से दूर रखें। इससे वे बहरेपन का शिकार हो सकते हैं। डीजे बच्चों या किसी भी उम्र के लोगों के लिए सेफ नहीं है।\डॉ. सुनील रामनानी, सीनियर ईनटी सर्जन