यहां उनकी मुलाकात रावण के छोटे भाई विभीषण से हुई। विभीषण राम भक्त थे। उन्होंने हनुमान को माता सीता के बारे में बताया। जब हनुमान अशोक वाटिका पहुंचे तो उसी समय रावण भी आया। उसने सीता को एक माह का समय दिया। माता सीता ने त्रिजटा से बोलीं कि मैं जीवित नहीं रहना चाहती। यह सुनकर हनुमान ने मुद्रिका नीचे गिराई, सीताजी ने मुद्रिका पहचान ली, लेकिन फिर सोचा कि यह कोई प्रपंच तो नहीं है? तब हनुमान ने श्रीराम के गुणों का वर्णन करने लगे, यह सुनकर सीता के सारे दु:ख दूऱ हो गए। कथाकार ओमानंद महाराज ने कहा कि जो भी श्रीराम कथा का श्रवण करता है, उसके सारे कष्ट, दु:ख दूर हो जाते हैं।
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