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चीन में खतरे की घंटी के बीच पत्रिका ने आंबेडकर व निजी अस्पतालों में बच्चों में निमोनिया के केस की जानकारी ली। इसमें कोई चौंकाने वाले तथ्य सामने नहीं आए। आंबेडकर अस्पताल में 100 के आसपास बच्चे भर्ती हैं। इनमें 10 से 12 बच्चों को निमोनिया है। इसमें एक दो बच्चे ही गंभीर है। ऐसी ही स्थिति निजी अस्पतालों में पीडियाट्रिक वार्डों के हैं। ठंड के सीजन में सर्दी, खांसी, बुखार व निमोनिया के केस बढ़ते हैं। दरअसल बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बड़ों की तुलना में कम होती है। इसलिए ये मौसम में बदलाव को भी जल्दी सहन नहीं कर पाते। डॉक्टरों के अनुसार प्रदेश में किसी भी जिले में निमोनिया बढ़ने के केस नहीं आए हैं। हालांकि अस्पतालों में पहले से तैयारी है। एनआईसीयू व एसआईसीयू में गंभीर व नवजात बच्चों का इलाज हो रहा है। उनके लिए पर्याप्त छोटो वेंटीलेटर भी है। आंबेडकर में शिशु रोग विशेषज्ञों की एक टीम भी है, जो बच्चों के स्वास्थ्य पर सतत निगरानी रख रही है।
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23 फीसदी बच्चों की मौत निमोनिया से बच्चों के लिए निमोनिया एक खतरनाक बीमारी है। पीडियाट्रिशियन के अनुसार बच्चों की बीमारियों में सबसे ज्यादा 23 फीसदी मौत निमोनिया से होती है। खासकर कुपोषित व कमजोर बच्चे इस बीमारी के गिरफ्त में आते हैं और समय पर इलाज नहीं होने से मौत भी हो जाती है। इसलिए खासकर ठंड के सीजन में बच्चों को लेकर विशेष एहतियात बरतने की जरूरत है। जैसे सुबह उन्हें टहलाने न ले जाएं। दोपहिया में जा रहे हैं तो उन्हें गर्म कपड़े पहनाएं। मां भी ठंडी चीजों का कम से कम सेवन करें। क्योंकि मां की सेहत का असर नवजात पर पड़ता है।
चीन से लौटने वालों की स्वास्थ्य विभाग के पास जानकारी नहीं बीमारी फैलने के बाद चीन से कितने लोग छत्तीसगढ़ लौट रहे हैं, इसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के पास नहीं है। स्वास्थ्य विभाग दिल्ली से ये भी जानकारी नहीं मंगा रही है कि चीन से कितने लोग छत्तीसगढ़ आ रहे हैं। दरअसल केस नहीं बढ़े हैं। रायपुर से चीन के शहरों के लिए कोई सीधी फ्लाइट नहीं है। लोग दिल्ली, मुंबई व दूसरे शहरों से होते हुए रायपुर पहुंचते हैं। इसलिए यात्रियों में ये पता लगाना मुश्किल है कि वे चीन से तो नहीं आ रहे हैं। वैसे भी कोरोना के समय ज्यादातर यात्री गलत जानकारी देते थे। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से कोरोना संक्रमित देशों से लौटने वाले लोगों की जानकारी मिलती थी। तब स्वास्थ्य विभाग की टीम ऐसे लोगों के स्वास्थ्य की जांच करती थी। जब केस बढ़ गए तो ये भी बंद हो गया था।
निमाेनिया के लक्षण
– तेज बुखार आना
– लगातार खांसी होना
– सांस लेने में दिक्कत
– सीने में दर्द होना
– कमजोरी महसूस होना
– थका हुआ महसूस करना
– बलगम के साथ खांसी होना
– बेचैनी महसूस करना
डॉक्टरों की सलाह
– रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए पौष्टिक चीजों का सेवन करें।
– तीन दिन में सर्दी, खांसी व बुखार ठीक न हो तो डॉक्टर को दिखाएं।
– हाई रिस्क वाले बच्चे, बुुजुर्ग, किडनी, हार्ट, लंग व कैंसर वाले अलर्ट रहें।
अस्पतालों में बच्चों के इलाज के लिए पूरी व्यवस्था है। किसी भी जिले में निमोनिया के केस नहीं बढ़े हैं। ठंड के सीजन में निमोनिया के केस बढ़ते हैं। डॉक्टर से इलाज कराएं।
– डॉ. सुभाष मिश्रा, डायरेक्टर महामारी नियंत्रण
निमोनिया के केस रूटीन में आ रहे हैं। चीन में फैली बीमारी से घबराने की जरूरत भी नहीं है, लेकिन अलर्ट रहने की जरूरत है। बच्चों का इलाज खुद से न कर डाॅक्टरों से कराएं।
– डॉ. ओंकार खंडवाल, एचओडी पीडियाट्रिक आंबेडकर अस्पताल
ठंड में निमोनिया के केस पहले की तुलना में बढ़ जाते हैं, लेकिन अभी ऐसे केस कम ही आ रहे हैं। बीमारी से घबराने की नहीं अलर्ट रहने की जरूरत है। जरूरी सावधानी बरतें।
– डॉ. सुनील खेमका, डायरेक्टर श्री नारायणा अस्पताल
ठंड में निमोनिया के केस पहले की तुलना में बढ़ जाते हैं, लेकिन अभी ऐसे केस कम ही आ रहे हैं। बीमारी से घबराने की नहीं अलर्ट रहने की जरूरत है। जरूरी सावधानी बरतें।
– डॉ. सुनील खेमका, डायरेक्टर श्री नारायणा अस्पताल