स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक सांस की तकलीफ से मरने वालों की संख्या ज्यादा है। यानी मरीज को सांस लेने में कठिनाई तो हो रही है मगर उसकी समय पर कोरोना जांच नहीं हो पा रही, समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा और वह दम तोड़ दे रहा है। इस पर रोकथाम के लिए कोरोना सघन सामुदायिक सर्वे अभियान से घर-घर दस्तक देकर ऐसे मरीजों की पहचान की जा रही है। मौतों के मामले रायपुर, दुर्ग और बिलासपुर संभाग में सर्वाधिक सामने आ रहे हैं, जहां बेहतर चिकित्सकीय सुविधाएं हैं।
प्रदेश में पहली बार किसी मंत्री की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव, प्रदेश में 2233 संक्रमित
क्या मितानिन नहीं दे सकती हैं गंभीर मरीजों की जानकारी
अगर, विभाग यह मान रहा है कि मरीज समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पा रहे तो ऐसा कोई सिस्टम क्यों नहीं विकसित किया जाता कि मरीज को समय पर अस्पताल लाया जा सके। क्या मितानीनों, एएनएम की मदद बुजुर्गों या गंभीर मरीजों की पहचान करने में नहीं ली जा सकती। विशेषज्ञ मानते हैं कि ऐसा संभव है।
मृतकों में 19 से 84 साल तक के मरीज
प्रदेश में कोरोना से मरने वालों में 50 साल से अधिक आयुवर्ग के मरीजों की संख्या सर्वाधिक है। अक्टूबर में हुई मौतों में 19 साल का युवा, 30 साल की महिला और 84 साल के बुजुर्ग शामिल हैं। 279 मृतकों में 20 ऐसे भी मरीज थे, जिनकी उम्र ७० वर्ष या उससे अधिक थी।
इलाज के अभाव में मौतें हो रही हैं ऐसे कम ही मामले हैं। विभाग की अपील है कि लक्षण दिखाने पर जांच करवाने में देरी न करें। खासकर बुजुर्गों को लेकर लापरवाही न बरतें।
-डॉ. सुभाष पांडेय, प्रवक्ता एवं संभागीय संयुक्त संचालक, स्वास्थ्य विभाग
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