मेरे मां-बाप कहते थे पढ़ो। जबकि मेरा जरा भी मन नहीं था। उस समय हमारे टीचर मारते ज्यादा थे। आजकल आपके टीचर मारते नहीं हैं। हमारे टीचर तो पहले मारते थे फिर पूृछते थे कि होमवर्क किया कि नहीं। इसलिए मैं कहता हूं कि स्कूल एक ऐसी जगह है जहां आप मजे कर सकते हो। मजे के साथ आपको नॉलेज मिल रहा है तो इससे बड़ी और क्या बात हो सकती है। मैं यह भी नहीं कहूंगा कि नंबर 1 आओ। जरूर आओ। एंजॉय करते हुए आना और थप्पड़ खाके आना दोनों अलग-अलग चीज है। आप जरूर खेलो। इससे आपकी सेहत अच्छी रहेगी बल्कि देेश के लिए भी फायदेमंद रहेंगे।
एनिमल्स से प्यार करें
कपिल ने कहा कि एनिमल्स से प्यार करें। उन्हें कभी हर्ट न करें। लाइफ में ऑनेस्टी को फॉलो करें। कार्यक्रम के आखिर में जिस छात्रा ने उनका इंट्रोडक्शन दिया था उनसे कहा कि आज जब भी किसी अच्छे मुकाम पर पहुंचेंगी मुझे जरूर बुलाना। अंत में दुआओं में याद रखना कहते हुए अपनी बात खत्म की।
मुझे 15 प्रतिशत जिंदगी क्रिकेट ने दी। बाकी स्टेज मिली। क्रिकेट जिंदगी का एक पहलू था। मैं पीछे मुड़कर नहीं, आगे क्या कर सकता हूं यह देखता हूं। कैच मिस हो जाए चिंता नहीं है लेकिन ब्रिलियंट कैच तभी पकड़े जाते हैं जब आपका एफर्ट लगता है। एफर्ट आपका ऐसा होना चाहिए ताकि आप देश के प्रधानमंत्री हों या राज्य के मुख्यमंत्री। यह सब आप एजुकेशन के जरिए हासिल कर सकते हैं। कार्यक्रम की थीम पंचतत्व थी। छात्रों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी। इस दौरान एनएच गोयल स्कूल के चेयरमैन सुरेश गोयल ने भी अपने विचार रखे। छात्र-छात्राओं को पुरस्कृत किया गया।
कपिल की सीख छात्रों के लिए: पढ़ो। नॉलेज प्राप्त करो। नंबर नहीं। आप छोटी उम्र में समझ नहीं पाते कि पढ़ाई कितनी जरूरी है। ये आपके पैरेंट्स समझते हैं। वे आपको शिक्षित करना चाहते हैं। अगर आप पैरेंट्स और टीचर्स की सुनोगे तो कोई गलत बात नहीं है। पैरेंट्स और टीचर्स को अपना दोस्त बनाओगे तो जिंदगी कामयाब होगी। आपके मां-बाप कितनी मेहनत करके बड़े स्कूलों में पढ़ाई कराते हैं। इसलिए आप यह मत सोचो कि यह आपका अधिकार है बल्कि उनके प्रति कृतज्ञ रहें।
पैरेंट्स के लिए
पैरेंट्स बच्चों पर फर्स्ट आने के लिए प्रेशर डालते हैं। स्कूल से नॉलेज लेकर आओ फर्स्ट नहीं। जो हम नहीं बन पाए, वे चाहते हैं हमारे बच्चे बनें। कोशिश तो यह होनी चाहिए कि बच्चे की काबिलियत तलाशी जाए। जिस चीज में बच्चे की काबिलियत है अगर उस पर मेहनत करेंगे तो वे शायद ऐसे इंसान बनेंगे जिस पर हम सभी प्राउड कर सकेेंगे। बच्चों के साथ पढ़ने और जीवन बिताने की कोशिश करो। नंबर के लिए कोशिश मत करो।
पैरेंट्स बच्चों पर फर्स्ट आने के लिए प्रेशर डालते हैं। स्कूल से नॉलेज लेकर आओ फर्स्ट नहीं। जो हम नहीं बन पाए, वे चाहते हैं हमारे बच्चे बनें। कोशिश तो यह होनी चाहिए कि बच्चे की काबिलियत तलाशी जाए। जिस चीज में बच्चे की काबिलियत है अगर उस पर मेहनत करेंगे तो वे शायद ऐसे इंसान बनेंगे जिस पर हम सभी प्राउड कर सकेेंगे। बच्चों के साथ पढ़ने और जीवन बिताने की कोशिश करो। नंबर के लिए कोशिश मत करो।
टीचर के लिए
टीचर जिस दिन बच्चों को नॉलेज की तरह पढ़ाएंगे, तो शायद हमारा हिंदुस्तान और भी खूबसूरत बन जाए। बच्चों को पास लाएं जिंदगी खूबसूरत हो सकती है।
टीचर जिस दिन बच्चों को नॉलेज की तरह पढ़ाएंगे, तो शायद हमारा हिंदुस्तान और भी खूबसूरत बन जाए। बच्चों को पास लाएं जिंदगी खूबसूरत हो सकती है।