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इनका कहना है कि इस बात को नजर अंदाज नहीं किया जा सकता कि गंभीर मरीज अभी भी आ रहे हैं। क्यों आ रहे हैं? इन्होंने कारण भी बताए। डॉक्टरों का मानना है कि अभी भी हम लक्षणों को नजर अंदाज कर रहे हैं। मेडिकल स्टोर या झोलाछाप कथित डॉक्टरों से दवा ले रहे हैं। जब बीमारी बढ़ रही है तब अस्पतालों की ओर दौड़ रहे हैं। अभी होने वाली मौतों में 50 प्रतिशत मौतों की यही वजह है।सिर्फ कोरोना से मौत के मामले अभी भी अधिक
कोरोना की पहली लहर में सिर्फ कोरोना से संक्रमित होने पर मौत होने के मामले कम थे। मगर, दूसरी लहर में अन्य बीमारियों के बाद संक्रमित होकर मरने वालों की संख्या सिर्फ कोरोना से मरने वालों की संख्या से कम रही। स्पष्ट है कि कोरोना ने स्वस्थ व्यक्तियों को भी अपनी चपेट में लिया। दूसरी लहर में बड़ी संख्या में युवाओं की मौत हुई। स्थिति तो यहां तक भयावह हो गई थी कि भर्ती होने के 2-4 दिन में जानें जा रही थीं।
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डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल के टीबी एंड चेस्ट विभागाध्यक्ष डॉ. आरके पंडा ने कहा, अप्रैल और मई की तुलना में मरीज कम मिल रहे हैं। मगर, गंभीर मरीज तो अभी भी रिपोर्ट हो ही रहे हैं, भर्ती हैं। कुछ मरीज देरी से डायग्नोस हो रहे हैं। इसलिए यह मान लेना कि कोरोना खत्म हो गया, यह भूल होगी।