रायपुर में सोमवार को कोरोना संक्रमित 10 लोगों की मौत हुई थी, जिसमें से ज्यादातर को शरीर में कमजोरी की शिकायत थी और उन्होंने अस्पताल पहुंचने में विलंब किया। कुछ अन्य बीमारियों से भी पीड़ित थे। रायपुर जिले के गोबरा नवापारा के रहने वाले एक व्यक्ति को काफी दिनों से कमजोरी की शिकायत थी। 15 मार्च से ही कोरोना के लक्षण दिख रहे थे। ज्यादा तबीयत खराब होने पर 22 मार्च को एक निजी अस्पताल में भर्ती हुए। जांच कराने पर 23 मार्च को उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। डॉक्टर जब तक कुछ समझ पाते उनकी मौत हो गई।
यह भी पढ़ें: कोरोना संक्रमण हुआ बेकाबू: 24 घंटे में नए मरीजों की संख्या ने बढ़ाई चिंता, एक्टिव मरीज 15 हजार पार ऐसे ही राजधानी की कबीरनगर की महिला को भी शिकायत थी। 7 मार्च को लक्षण दिखने के बाद भी उन्होंने 12 मार्च को कोरोना जांच कराई। निजी अस्पताल में 23 मार्च को मौत हो गई। आंबेडकर अस्पताल के पल्मोनरी विशेषज्ञ डॉ. आर.के. पांडा के मुताबिक मौसम को देखते हुए मामूली सर्दी, खांसी, बुखार को भी नजरअंदाज न करते हुए कोरोना जांच करानी चाहिए। साथ ही स्वयं को आइसोलेट करना चाहिए, जिससे यदि पॉजिटिव आए तो परिवार को इससे बचा सकें।
माना सिविल अस्पताल चालू
रायपुर में रोजाना 500 से ज्यादा नए संक्रमितों की पहचान हो रही है। आंबेडकर अस्पताल व एम्स का आईसीयू और वेंटिलेटर सपोर्ट बेड भर चुके हैं। माना सिविल अस्पताल को चालू किया गया है, जिसमें 15 से 20 मरीज भर्ती हो गए हैं। 400 बेड वाले आयुर्वेदिक कॉलेज अस्पताल को भी शुरू करने की तैयारी की जा रही है। यहां वैक्सीनेशन चल रहा है, जिसको पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय परिसर में स्थित बंद पड़े कॉफी हाउस में शिफ्ट किया जाएगा।
यह भी पढ़ें: नए स्ट्रेन की आशंका: छत्तीसगढ़ चौथा राज्य जहां सबसे ज्यादा संक्रमण, 15 दिन तक शरीर में रह रहा वायरस रायपुर की सीएमएचओ डॉ. मीरा बघेल ने कहा, कोरोना जांच में विलंब करके लोग खुद के साथ परिजनों की भी जान को संकट में डाल रहे हैं। गंभीर हालत में लोग अस्पताल पहुंच रहे हैं। शरीर में कमजोरी, दर्द व सुस्ती तो कोरोना की तुरंत जांच कराएं।