अवैध प्लाॅटिंग का दायरा सबसे अधिक नवरात्रि पर्व के साथ ही बढ़ने लगता है। क्योंकि चार महीने के बरसात और पितृपक्ष की वजह से बहुत कम लोग प्राॅपर्टी संबंधी खरीदारी करते हैं। जैसे ही नवरात्रि शुरू होता है तो दिवाली तक अवैध प्लाॅटिंग का कारोबार तेजी से बढ़ता है। क्योंकि कई लोग इनवेस्टमेंट के हिसाब से तो कई लोग मकान बनाने के उद्देश्य से ऐसी जगहों पर प्लाॅट खरीद लेते हैं।
कांदुल, दतरेंगा, सेजबहार और भाठागांव, काठाडीह जैसे क्षेत्रों के बीच इस समय पूरी तरह से कागजों में प्लाॅट के साइज तय करके कहीं 500, 600, 650 वर्गफीट के हिसाब से बेचना शुरू करते हैं और दिवाली तक कई एकड़ में अवैध प्लाॅटिंग का जाल बिछ जाता है। इस समय सबसे अधिक अवैध प्लाॅटिंग कांदुल, दतरेंगा और काठाडीह के बीच तेजी से चल रही है।
न बिजली खम्भा न रोड-नाली का झंझट अवैध प्लाॅटिंग करने वाले न तो बिजली के खम्भे लगवाते हैं न ही रोड-नाली बनवाने का कोई झंझट पालते हैं। केवल खेतिहर जमीन को समतल करके डेढ़ से दो फीट सीमेंट के खूंटे गाड़कर निशान तय करके पूरे कारोबार को अंजाम देते हैं। मुरम की रोड केवल निशाने के रूप में डलवाते हैं ताकि दूर से किसी को ये पता न चल सके कि अवैध प्लाॅटिंग की जा रही है। केवल निशानदेही के आधार पर ही लोगों को रेट बढ़ जाने का झांसा लेकर फांसते हैं। उन्हें भरोसे में लेते हैं कि आगे चलकर बिजली और रोड, नाली का भी निर्माण होगा। परंतु बेचने के बाद रफा-दफा हो जाते हैं।
सेजबहार के नगर पालिका बन जाने का भी झांसा
अवैध प्लाॅटिंग का जाल बिछाने वाले कांदुल, दतरेंगा, डोमा, सेजबहार और काठाडीह जैसे क्षेत्रों के लिए अलग से नगर पालिक परिषद बन जाने का भी झांसा दे रहे हैं। ताकि उनका अवैध प्लाॅट ज्यादा से ज्यादा लोग खरीद सकें। ये कारोबार किसानों को बयाना देकर अंजाम दिया जाता है। अनेक वाट्सऐप ग्रुपों में एरिया, मोबाइल नंबर प्लाट का रेट कागजों में प्लाॅटिंग का नक्शा खींचकर प्रचार-प्रसार करने का तरीका अपना रखा है।
अवैध प्लाॅटिंग रोकने के लिए टीमें बनी हुई हैं। बिना लेआउट और डायवर्सन नहीं कराने से राजस्व को काफी नुकसान होता है। कड़ाई से इस पर रोक लगाने के लिए ही जिला प्रशासन ने खसरा ब्लाक करने का ठोस कदम उठाया है। मैदानी स्तर पर इसका पालन कराया जाएगा। – देवेंद्र वर्मा, एसडीएम रायपुर