बचपन में करते थे रामलीला
शिवकुमार बचपन से रामलीला देखते और उसमें अभिनय करते थे। सही मायने में रामलीला से ही अभिनय का जुनून जागा। पोटिया से मिडिल और दुर्ग से मेट्रिक के बाद रायपुर के दुर्गा कॉलेज में पढ़ाई। नाटकों में हमेशा रुझान रहा। रामचंद्र देशमुख ने मुझे नाचा-गम्मत में देखा था। उन्होंने चंदैनी गोंदा मंडली बनाई। उसमें लंबे वक्त तक काम किया। देशमुखजी के निधन के बाद म्युजिक डायरेक्टर खुमान साव ने मंडली को आगे बढ़ाया।5 भाषाओं में किया काम
शिवकुमार ने छत्तीसगढ़ी के अलावा हिंदी, मालवी, भोजपुरी और अफगानी भाषा की फिल्में काम किया। उन्हें मया देदे मया लेले में कचरा के किरदार काफी सुर्खियां मिलीं।ये हैं प्रमुख छत्तीसगढ़ी फिल्में
बॉलीवुड की दो फिल्मे
शिवकुमार ने अपनी कलाकारी का लोहा बॉलीवुड में भी मनवाया। सुहागन में रजा मुराद के समधी बने तो हल और बंदुक में मुनीम का रोल प्ले किया। भोजपुरी फिल्म में गोविंदा के भांजे कृष्णा अभिषेक के साथ काम किया। कृष्णा और शिवकुमार की दोस्ती भी हुई। कृष्णा ने मुंबई बुलाया लेकिन जॉब और फैमिली के चलते वे स्थायी रूप से वहां नहीं जा पाए।अधिकारी ने किया हमेशा सपोट
शिवकुमार बीएसपी में जॉब करते थे। उनकी प्रतिभा को देखते हुए उनके अधिकारी सपोर्ट किया करते थे। जब कभी शुटिंग के लिए कहीं जाना होता मना नहीं करते थे।मनु नायक ने कहा था- ये कहां कर पाएगा मेरी फिल्म
शिवकुमार ने बताया, मनु नायक पहली छत्तीसगढ़ी मुवी कहि देबे संदेश के लिए कॉस्टिंग कर रहे थे। उन्होंने सारे कलाकार मुंबई से बुलाए थे। किसी के जरिए मैं उनसे मिला तो वे कहने लगे ये कहां कर पाएगा मेरी फिल्म। मैंने उन्हें चैलेंज किया कि नौ रसों में से कोई भी रस की एक्टिंग करवा लीजिए न कर पाऊं तब रिजेक्ट कर देना। उन्होंने मुझे दो सीन करने कहा और मैंने करके दिखाया तब मेरा सलेक्शन हुआ।