ज्योतिष में नवतपा को लेकर कई मान्यताएं प्रचलित हैं। ज्योतिषाचार्य स्वामी डॉ. इंदुभवानंद के मुताबिक नवतपा में सूर्य अपने पूरे प्रभाव में होता है। इसे रोहिणी का तपना भी कहते हैं। नौतपा के समय में दिन बड़े और रातें छोटी हो जाती हैं। पुराने समय में नौतपा के नौ दिनों के मौसम को देखकर बारिश की सटीक भविष्यवाणी की जाती थी। आज भी कई किसान नवतपा के दिनों के मौसम का गहराई से अध्ययन करते हैं।
मान्यता… जितना तपेगा सूर्य, उतनी अच्छी बारिश CG Weather Update : मान्यता है कि नौतपा के दिनों ज्यादा गर्मी पड़ती है तो बारिश अच्छी होती है। अगर नौतपा में थोड़ी बहुत बारिश होती है तो इसे अच्छा नहीं माना जाता है। नौतपा के दिनों को मानसून का गर्भकाल भी कहते हैं। नौतपा से पहले अगस्त्य तारा अस्त हो गया है। इस वजह से कुछ ही दिनों में वर्षा ऋतु के लिए वातावरण तैयार हो जाएगा। सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में आने के बाद नौ दिनों तक गर्मी अधिक रहती है। इन दिनों में सूर्य और पृथ्वी की स्थिति कुछ ऐसी हो जाती है कि सूर्य की सीधी किरणें पृथ्वी पर पड़ने लगती हैं।
श्रीकृष्ण और शिव पूजा का महीना महामाया मंदिर के पुजारी पं. मनोज शुक्ला ने बताया कि नौतपा ज्येष्ठ मास में पड़ता है। इस अवधि में भगवान विष्णु के साथ श्रीकृष्ण की पूजा भी करनी चाहिए। भगवान के बाल रूप यानी लड्डू गोपाल का शीतल जल से अभिषेक करना चाहिए। माखन-मिश्री का भोग तुलसी के पत्तों के साथ लगाएं। साथ ही का चंदन लेप भी लगाएं। इस महीने में शिवलिंग पर शीतल जल चढ़ाने का महत्व भी पुराणों में बताया है। इससे जाने-अनजाने में हुए हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं।
नौतपा में चल सकती है लू नौतपा के दिनों में अधिकतर जगहों पर काफी अधिक गर्मी रहती है, लू चलती है। ऐसी स्थिति में गर्मी को लेकर लापरवाही नहीं करनी चाहिए। दोपहर में घर से बाहर निकल रहे हैं तो उचित सावधानी रखनी चाहिए। ज्यादा देर सीधे धूप में खड़े रहने से बचना चाहिए।
पानी पीते रहें, शरीर को ठंडक मिलती रहे, ऐसी चीजें खाने में शामिल करें। ध्यान रखें शरीर में पानी की कमी न हो और भूखे भी नहीं रहें।